रतीराम श्रीवास/टीकमगढ। जिला प्रशासन के ढिलमुल रवैये के कारण जिले की यातायात व्यवस्था लडखडा गई है बस मलिक जिला प्रशासन की आॅखो मे किरकिरी बन कर खुलेआम कानून की धज्जिया उडा रहे हैं।
अवागमन का मुख्य साधन प्राईवेट बस ही हैं। बसों द्वारा ही व्यापारी वर्ग व्यापार करने शहर से बाहर आते जाते हैं। जो बसें सडक पर दौडाई जा रही हैं। उनमे अधिकांश बसें ईश्वर भरोसे ही चल रही हैं, क्योंकि बसों की हालत ऐसी है कि उसमे आपातकालीन खिडकी नही है, सिंगल गेट है, सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं है। प्राईबेट बसों मे मनमाना किराया लिया जा रहा है। सीटो के चिथडे उड गये हैं। बसों मे क्षमता से ज्यादा सवारी को बैठाया जा रहा है। इस तरह बसों को नीचे उपर ठसाठस भरकर सडको पर दौडाया जा रहा है।
बताते हैं कि टीकमगढ से वाया जतारा मउरानीपुर की ओर जाने बाली अधिकांश बसो की हालत खस्ताहाल है। टीकमगढ झासी हाईवे मार्ग पर थाना दिगौडा ओरछा निवाड़ी थाना के सामने से ठसाठस भरकर खटारा बसो को निकाला जा रहा है। यातायात कानून के नियम कायदों को नजरअंदाज किया जा रहा है। खरगापुर बल्देवगढ पलेरा छतरपुर नौगाॅव मार्ग पर खटारा बसे दौडाई जा रही है। आरटीओ आॅफिस से जो ड्राईवर लायसेंस जारी किया जा रहा हैं, वो दलालो के माध्यम से जारी किये जा रहे हैं। चालक की योग्यता व शारीरिक क्षमता को नजरअंदाज किया जा रहा है।
ये सबकुछ प्रशासन के सामने हो रहा है, पुलिस की आखों के सामने से रोज बसें गुजर रहीं हैं परंतु सब चुप हैं क्योंकि इन खटारा बसों के संचालक नियमित रूप से आरटीओ और पुलिस थानों में रिश्वत पहुंचा रहे हैं। आरटीओ के दलाल पूरे जिले में सक्रिय हैं और आरटीओ विभाग केवल रिश्वतखोरी के लिए ही पहचाना जाता है। कार्रवाईयां केवल उनके खिलाफ होतीं हैं जो आरटीओ की डिमांड पूरी नहीं करते।