भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने प्रदेश के 6 निजी मेडीकल कालेजों द्वारा सरकारी कोटे की सीटें मेनेजमेंट कोटे से भर दिये जाने और भ्रष्टाचार के बाद नियम विरूद्व उन कालेजों को पहुंचायी गई राहत में स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. नरोत्तम मिश्रा तथा परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में हुए भ्रष्टाचार, बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लिये बगैर स्वीकृत 198 परिवहन आरक्षकों की सीधी भर्ती के विरूद्व 332 परिवहन आरक्षकों के अवैधानिक तरीके से चयन में तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव और वर्तमान मुख्य सचिव एंटोनी डिसा की भूमिका को लेकर प्रामाणिक दस्तावेज आज एसआईटी प्रमुख श्री चंद्रेश भूषण को सौंपकर उनसे इस विषयक संज्ञान लेकर उचित व पारदर्शी कार्यवाही करने का अनुरोध किया है।
अपने सभी आरोपों को दस्तावेजी प्रमाणों के साथ एसआईटी प्रमुख को सौंपे दस्तावेजों में मिश्रा ने कहा कि पीएमटी घोटाले से संबद्ध प्रदेश के 6 निजी मेडीकल काॅलेजों द्वारा सरकारी कोटे की सीटें मेनेजमेंट कोटे से भर दिये जाने और उसमें हुए करोड़ों रूपयों के भ्रष्टाचार के खुलासे और मध्यप्रदेश शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग, मंत्रालय की जांच रिपोर्ट क्र. एफ-9/ 127 /2014 /1-55 (पार्ट), भोपाल, दिनांक 7 अक्टूबर, 2014 में भी अनियमितता/भ्रष्टाचार स्वीकारे जाने के बावजूद भी एसटीएफ ने अब तक कौन सी दिखाई देने वाली कार्यवाही की है? यही नहीं इस गड़बड़ी के खिलाफ प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा ने भी इन निजी मेडीकल काॅलेजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये थे, किंतु प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री डाॅ. नरोत्तम मिश्रा ने 6 सितम्बर, 2014 को जारी अपनी नोटशीट पर एफआईआर दर्ज करने के बजाय कठोर कार्यवाही करने के निर्देश जारी कर इस घोटाले पर सरकार की नीयत पर सवालिया निशान लगा दिया है। कांगे्रस का सीधा आरोप है कि इन निजी मेडीकल काॅलेजों पर डाॅ. नरोत्तम मिश्रा को इस कृपा के बदले करोड़ों रूपये रिश्वत की अदायगी की गई है। इस पूरे काम में भोपाल के ही एक चिकित्सक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई है।इसी प्रकार इस महाघोटाले में प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग में मौजूद डीएमई की भूमिकाओं को लेकर भी उनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के प्रमाणिक दस्तावेज भी संलग्न किये हैं।
मिश्रा ने परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में स्वीकृत 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती परीक्षा में सीधी भर्ती के विरूद्व बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति लिये बगैर अवैधानिक तरीके से 332 परिवहन आरक्षकों के किये गये अवैध चयन में तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव व वर्तमान मुख्य सचिव श्री एंटोनी डिसा, जो उस समय परिवहन विभाग के प्रभारी भी थे, की संदिग्ध भूमिका को लेकर भी दस्तावेजों के माध्यम से सवालिया निशान लगाये हैं।
मिश्रा का यह भी मानना है कि मुख्य सचिव श्री डिसा की भूमिका सार्वजनिक न हो इसलिए परिवहन विभाग और व्यापम सूचना का अधिकार कानून के तहत उन्हें दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रहा है। परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा घोटाले से संबंधित महत्वपूर्ण साक्ष्य व फाईलें गायब कर दी गई हैं। इनका खुलासा व सूक्ष्म जांच होनी चाहिए, क्योंकि परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुआ घोटाला व्यापम महाघोटाले का एक बड़ा हिस्सा है, जिसमें लाखों रूपयों के लेनदेन के बाद योग्य आरक्षकों के स्थान पर गलत लोगों का चयन किया गया है। मिश्रा ने एसआईटी प्रमुख से आग्रह किया है कि वे इन प्रामाणिक दस्तावेजी सबूतों के अध्ययन के उपरांत संज्ञान लें तथा जांच एजेंसी एसटीएफ को उचित कार्यवाही हेतु निर्देशित करें।