भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को समन्वय भवन भोपाल में प्रदेश के विभिन्न विभागों और उनकी परियोजनाओं में कार्यरत सवा दो लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए 22 जून 2013 को जीएडी विभाग द्वारा बनाई गई नीति को लागू करने तथा नरसिंहपूर जिला मुख्यकार्यपालन अधिकारी (सीईओ) को निलंबित करने के लिए ज्ञापन सौंपा।
गौरतलब है कि 6 मई को नरसिंहपुर सीईओ कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने शौचालय निर्माण की समीक्षा बैठक के दौरान चावरपाठा विकास खण्ड के ग्राम भौरझिरी में शौचालय नहीं बनने से नाराज होकर मनरेगा अंतर्गत संविदा पर कार्यरत उपयंत्री सतीश हरदा को पुलिस वालों को बुलाकर थाने में बैठा दिया था, जबकि शौचालय का निर्माण संरपचों और ग्राम पंचायत के द्वारा किया जाता है। निर्माण कार्यो की राशि सीधे ग्राम पंचायत के खाते में जाती है, उस राशि से निर्माण करने की जिम्मेदारी सरपंच और पंचायत सचिव की होती है।
दूसरी बात जिस शौचालय के लिए उपयंत्री को थाने में बैठाया गया वहां पर पुराने संरपच और नये सरपंच का विवाद चल रहा है। फरवरी मार्च में हुये पंचायत चुनाव के दौरान पुराना सरपंच चुनाव हार गया नया सरपंच चुनकर आया तो नया संरपच पुराने सरपंच को शौचालय का निर्माण करने नहीं दे रहा है।
मुख्यकार्यपालन अधिकारी ने समीक्षा बैठक के दौरान उपयंत्री की बात ही नहीं सुनी और अपने पद का दुरूपयोग करते हुये दो पुलिस वालों को बुलाकर उपयंत्री को सीधे थाने में बैठा दिया। सीईओं के इस कृत्य से प्रदेश के सवा दो लाख संविदा कर्मचारियों में आक्रोश है। महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठोर ने मुख्यमंत्री से मप्र विद्युत वितरण कम्पनी इंदौर, विद्युत नियामक आयोग, नर्मदा घाटी विकास प्राधीकरण, म.प्र. आर्थिक सांख्यिकी विभाग के प्रंगणकों, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत जिन संविदा कर्मचारियों की संविदा समाप्त कर दी गई है उनकी संविदा बहाल करने की मांग को लेकर भी माँग की। मुख्यमंत्री ने बात सुनकर मांगों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया।