इन दिनों 'आइटम सॉन्ग' लिख रहे हैं कपिल सिब्बल

नई दिल्ली. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल गीतकार की भूमिका में आ गए हैं। बॉलीवुड में आने वाली फिल्म 'जैनब' के लिए सिब्बल ने पांच गाने लिखे हैं जिसमें एक 'आइटम सॉन्ग' भी शामिल है। 'मस्त मस्त हवा' आइटम सॉन्ग को नवोदित कलाकार प्रनव सिंह के ऊपर फिल्माया गया है। बता दें कि सबसे पहले सिब्बल ने फिल्म 'बंदूक' के लिए एक गाना लिखा था। उनका लिखा गीत 'तू बता दे' मशहूर हुआ था। 'जैनब' उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगों पर बनी है जिसमें जिमी शेरगिल, आशुतोष राणा और टर्किश एक्ट्रेस सुहा गेंजेंटो मुख्य भूमिका में है।

प्रोड्यूसर की मांग पर लिखा आइटम नंबरः सिब्बल
'आइटम सॉन्ग' लिखने को लेकर पेशे से वकील कांग्रेसी नेता सिब्बल ने कहा, ''आज कल प्रोड्यूसर फिल्मों में आइटम नंबर्स चाहते हैं। इसलिए मैंने इस फिल्म के लिए आइटम सॉन्ग लिखा। सिनेमा जागरुकता और सामाजिक संदेश देने का बहुत प्रभावकारी माध्यम है। इस फिल्म के जरिए मैंने खुशी, मानवता और सौहार्यद का संदेश देने की कोशिश की है।'' 'जैनब' में म्यूजिक की कंपोजिंग ललित पंडित ने की है। पंडित ने भी सिब्बल के गानों की तारीफ की है। दिल्ली में फिल्म का पोस्टर जारी होने के मौके पर एक गाने पर डांस का कार्यक्रम भी रखा गया था। जिस गाने पर डांस हुआ उस गाने को भी सिब्बल ने ही लिखा था।

एआर रहमान के साथ भी काम कर रहे हैं सिब्बल
दो फिल्मों में गाने लिख चुके सिब्बल ऑस्कर विजेता संगीतकार एआर रहमान के साथ भी काम कर रहे हैं। अपने एलब्म 'रौनक' के लिए उन्होंने सात गाने लिखे हैं जिसका संगीत रहमान दे रहे हैं। सिब्बल का कहना है कि वह बॉलीवुड की और फिल्मों के लिए गीत लिखने को तैयार हैं।

शायरी के शौकीन हैं सिब्बल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल शायरी के बहुत बड़े शौकीन हैं। वह न केवल शायरी के शौकीन हैं बल्कि कई मौकों पर उन्होंने अपनी शायरियों से महफिल जमाई है। सुप्रीम कोर्ट में वकालात के दौरान उन्होंने कई बार सुनवाई के दौरान भी शायरी सुनाई है। एक बार तो उन्होंने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट को शायरी सुनाई थी जिसके बाद सुब्रत को मोहलत मिल गई थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिब्बल ने जस्टिस सीकरी से कहा, "मी लॉर्ड, रोज की ये जंग है, कहीं कटी पतंग है। मौका मिला फिर लगा रास्ता तो तंग है।" सिब्बल की इस बेबाकी पर जस्टिस सीकरी ने हंसते हुए जवाब दिया, "दर्द की यूं आदत हो गई है, जिस दिन न भी मिले तो भी दर्द-सा होता है।"

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