जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने तंत्र-मंत्र के नाम पर अंधविश्वास फैलाए जाने के रवैये को कठघरे में रखने वाली जनहित याचिका का अहम दिशा-निर्देश के साथ निपटारा कर दिया। इसके तहत जनहित याचिकाकर्ता को राज्य शासन के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत करने कहा गया है। जिस पर विधिवित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस मूलचंद गर्ग की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता युवा प्रकोष्ठ नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष मनीष शर्मा की ओर से अधिवक्ता आभा शर्मा व स्नेहलता ने पक्ष रखा।
उन्होंने दलील दी कि प्रचार-प्रचार के विभिन्न माध्यमों के जरिए तंत्र-मंत्र आदि के विज्ञापन प्रकाशित-प्रसारित कराए जाते हैं। इस वजह से अशिक्षित लोग झांसे में आकर लुट जाते हैं। इस वजह से कई बार हत्या, लूट व बलात्कार जैसी घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।
अन्य राज्यों में प्रतिबंध
बहस के दौरान अवगत कराया गया कि महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में इस तरह के अंधविश्वास प्रसारण पर सख्त अंकुश सुनिश्चित कर दिया गया है। जबकि मध्यप्रदेश में ऐसा ठोस कदम नदारद है। इस वजह से अशिक्षित जनता लुट रही है। पाखंड का साम्राज्य निरंतर फल-फूल रहा है। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद जनहित याचिका का इस निर्देश के साथ निराकरण कर दिया कि इस समस्या की शिकायत राज्य शासन से की जाए। राज्य की जिम्मेदारी होगी कि वह व्यापक जनहित में इस दिशा में समुचित कदम उठाए।