राकेश दुबे@प्रतिदिन। काबुल में हुई आतंकी वारदात के पीछे आतंकियों के दो मकसद मालूम होते हैं- एक, अफगानिस्तान में विदेशियों व भारतीय निवेश को निशाना बनाना और दूसरा, भारत-अफगानिस्तान संबंध को कमजोर करना। ये आतंकी भारतीय राजूदत को निशाना बनाने के मकसद से वहां आए थे, लेकिन राजदूत उस समय वहां नहीं थे। भारत दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन, यानी सार्क का सबसे महत्वपूर्ण देश है।
भारत और अफगानिस्तान के बीच सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक संबंधों का एक बड़ा इतिहास है। अफगान लोगों के बीच भारत व भारतीय बेहद लोकप्रिय हैं, उसी प्रकार काबुलीवाला की छवि हमारे मानस पटल पर गहरी है। भारत, अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार का साथ हमेशा से देता आया है। तालिबान शासन के बाद के नए अफगानिस्तान में भारत दो बिलियन डॉलर के निवेश को प्रतिबद्ध है। ट्रांस अफगानिस्तान पाइपलाइन, जिसे तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-इंडिया पाइपलाइन के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण परियोजना है। यह पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान से अफगानिस्तान, पाकिस्तान होती हुई हिन्दुस्तान तक पहुंचेगी। यह महत्वाकांक्षी परियोजना वास्तव में मध्य एशिया को दक्षिण एशिया से जोड़ने का काम करेगी और इससे भारत को ऊर्जा-सुरक्षा हासिल होगी, इसलिए इसमें भारत का बहुत कुछ दांव पर है। ऐसे में, अगर हमारा पड़ोसी अफगानिस्तान अस्थिर होता है, तो पड़ोसी देश होने के नाते हमारी सुरक्षा, हमारी ऊर्जा-सुरक्षा और हमारा निवेश, तीनों संकट में आएंगे। वहीं, अफगानिस्तान का स्थिर होना पूरे मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के लिए लाभप्रद रहेगा, खासकर पाकिस्तान और ताजिकिस्तान के लिए।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी लगातार अपने मुल्क की अर्थव्यवस्था को सुधारने पर जोर दे रहे हैं। इसलिए वह पिछले साल अक्तूबर में चीन-यात्रा पर गए थे, क्योंकि वह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ अफगानिस्तान का पड़ोसी भी है। भारत आने से पहले गनी ईरान के दौरे पर थे। जैसे-जैसे पश्चिम और ईरान के बीच रिश्तों में सुधार आएगा, ईरान की भूमिका अफगानिस्तान को स्थिर करने में बढ़ेगी। राष्ट्रपति गनी का भारत दौरा इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि वह क्षेत्रीय शक्तियों को काबुल से जोड़ना चाहते हैं।
अफगानिस्तान में भारत इन्फ्रास्ट्रक्चर, कौशल-विकास, कंधार में कृषि विश्वविद्यालय, खनिज-खनन के क्षेत्र में निवेश कर रहा है या कर चुका है। वहां एक स्टील प्लांट लगाने की भी बात है। ये ऐसे निवेश हैं, जिनसे आम अफगान सीधे तौर पर जुड़ते और लाभान्वित होते हैं। चूंकि इस देश में हमारा बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है, इसलिए वहां रह रहे भारतीयों और भारतीय निवेशों की सुरक्षा और उनके लिए लगातार अनुकूल माहौल बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। इस समय दक्षिण एशिया और मध्य एशिया को लेकर एक समग्र सोच की जरूरत है। भारत इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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