रमाशंकर शर्मा/सतना। हमेशा से विवादों में रही अध्यापक संवर्ग की पदोन्नति सूची को लेकर बड़े खेल की तैयारी की गई है। जारी ग्रेडेशन लिस्ट में काफी संख्या में पात्रों को नीचे कर अपात्रों के नाम ऊपर कर दिए गए हैं। लिस्ट में मृतकों के नाम भी शामिल हैं। यह सब तब हो रहा है जब तत्कालीन जिपं सीईओ ने सभी संकुलों से पूरी जानकारी तलब कर चार सदस्यीय टीम गठित कर ग्रेडेशन लिस्ट में सुधार के निर्देश दिए थे लेकिन समिति ने इस डाटा को रद्दी की टोकरी में डालकर पुरानी सूची जारी करवा दी है।
सूची की जानकारी ज्यादा लोगों को न हो इसलिए इसे आज तक ऑनलाइन भी नहीं किया गया है। हालत यह है, पदोन्नति से बाहर हो रहे पात्र लोगों को इस वजह से अभी तक जानकारी भी नहीं मिल पाई है। चर्चा तो यहां तक होने लगी है कि इसमें लाखों का लेनदेन कर अपनों को उपकृत करने यह खेल खेला जा रहा है।
यूं हो रहा खेल
ग्रेडेशन लिस्ट जारी करने के बाद डीईओ कार्यालय सूची को यह कह कर बचाने की कोशिश में लगा है कि इसीलिए दावा-आपत्ति मंगाई जाती हैं ताकि त्रुटियां सुधारी जा सकें लेकिन हकीकत यह है कि जानबूझ कर किया गया खेल है। बड़े लेनदेन के बाद अपात्रों को जहां ऊपर कर दिया गया है वहीं पात्र हाशिए पर डाल दिए गए हैं। यही वजह है कि सूची न तो ऑनलाइन की जा रही है और न ही संकुल स्तर तक इसकी जानकारी भेजी जा सकी है। इससे काफी संख्या में शिक्षकों को ग्रेडेशन की जानकारी नहीं है।
विषय में भी गड़बड़ी
वरिष्ठता सूची में हद दर्जे की अनदेखी का उदाहरण क्या हो सकता है कि वरिष्ठता क्रम 63 में शामिल शिवकुमार कोरी बालक प्राथमिक शाला करसरा का स्वर्गवास जून 2014 में हो चुका है, लेकिन उनका नाम सूची में है। सूची में इनका नाम रहने से नीचे की वरिष्ठता हमेशा प्रभावित रहेगी। सहायक अध्यापक साधना पांडेय का क्रमांक 98 है लेकिन इनका निकाय परिवर्तन 2008 में होने से वरिष्ठता नीचे होनी चाहिये। खेल यहीं नहीं रुका विषय में भी गड़बडी की गई है। निर्मला पयासी अध्यापक जिनका क्र. 824 है। नियुक्ति दिनांक 7/9/2006 में विषय गणित दर्ज है लेकिन ये भौतिक शास्त्र से एमएससी है।
कहां गई जानकारी
बड़ा सवाल उठ रहा है कि तत्कालीन जिपं सीईओ ने हर संकुल से 14 कॉलम की जो प्रत्येक शिक्षकों की जानकारी मंगाई थी और उसके आधार पर ग्रेडेशन लिस्ट अपडेट करने चार सदस्यीय समिति एसीईओ की अध्यक्षता में गठित की थी जिसमें अंजनी दुबे, देशराज प्रजापति, जयनारायण मिश्रा शामिल थे। इस समिति को संकुल प्राचार्यों से प्रमाणित जानकारी दी गई लेकिन समिति ने दस्तावेजों का क्या किया और ये कहां हैं? इस जानकारी छिपाते हुए आखिर पुरानी सूची ही क्यों जारी कर दी गई और संकुल की जानकारी से इसे सुधारा क्यों नहीं गया। जानकारों का कहना है कि इस मामले में डीईओ कार्यालय में पैसे का लंबा खेल हुआ है और इसी वजह से सूची में बगैर सुधार किये गुपचुप फायनल करने की तैयारी है।
ऐसे किया गड़बड़झाला
जिस तरीके के गड़बड़झाले सामने आए हैं उसमें वरिष्ठता क्र. 758 के दिग्विजय सिंह हैं। उमावि चोरमारी के अध्यापक की प्रथम नियुक्ति 6/10/2001 को हुई थी। इस आधार पर इनका वरिष्ठता क्र. 250 के आसपास होना चाहिए। इन्हीं के ठीक ऊपर 757 नंबर पर शैलेश गौतम हैं जिनकी प्रथम नियुक्ति 12/3/2007 है। इस तरह के मामले के मामले काफी संख्या में है। वरिष्ठता क्र. 255 पर कंचन सोनी का नाम है। 21/8/2001 को इनकी प्रथम नियुक्ति हुई है। लेकिन इनका अंतर निकाय संविलियन की तिथि 10/9/08 है। ऐसे में इनकी वरिष्ठता घट जानी चाहिये। इसी तरह से पेज नंबर 30 में ज्यादातर नाम गलत क्रम में हैं। अध्यापक दिवाकर तिवारी मा.शा. शेजवार संकुल कामता चित्रकूट नियुक्ति दिनांक 22/10/2007 का सूची में नाम नहीं है। इसी तरह से जिनके नाम नहीं है उनमें योगेन्द्र सिंह अध्यापक मुकुंदपुर, गीता सिंह अध्यापक मिचकुरिन मझगवां, राजेश कुमार मिश्रा, नकटी मुकुंदपुर सहित काफी संख्या में नाम गायब कर दिये गए हैं। नियुक्ति दिनांक का खेल देखिये कि 22/10/07 वाले चन्द्रभूषण मिश्रा का सूची में 777वां स्थान है वहीं 10/12/2007 वाले विनोद तिवारी का 760वां स्थान है।
ऑनलाइन भी नहीं हुई सूची
पदोन्नति जैसे गंभीर मसले पर सम्मेलन में तमाम बहस के बाद जिपं अध्यक्ष और जिपं सीईओ ने सूची ऑनलाइन करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सूची आज तक ऑनलाइन नहीं हुई, यह बड़ा सवाल है। बताया गया, कि ज्यादा लोगों को जानकारी न मिले व दावा-आपत्ति न आ सके इसलिये यह किया जा रहा है।
काफी संख्या में शिक्षकों को ग्रेडेशन लिस्ट की जानकारी नहीं मिल पा रही है। इससे दावा-आपत्ति नहीं आ पा रहे है। संकुलों से आई जानकारी के आधार पर बिना सुधार किए सूची कैसे जारी कर दी गई है। सूची ऑनलाइन भी नहीं की गई है। कुल मिला कर सूची सवालों में है।
शैलेन्द्र त्रिपाठी, प्रांतीय उपाध्यक्ष, राज्य अध्यापक संघ
