भोपाल। दिल्ली में मप्र के लिए नए राज्यपाल की तलाश शुरू हो गई है। संसद सत्र खत्म होते ही नए राज्यपाल की नियुक्ति कर दी जाएगी और यह सबकुछ अगले एक महीने में हो सकता है। यह दावा दिल्ली के भाजपाई सूत्रों ने किया है। हाईकमान तो पहले भी राज्यपाल रामनरेश के इस्तीफा मांगना चाहते थे परंतु शिवराज के आढ़े आ जाने के कारण मामला टल गया था।
शिवराज नहीं चाहते रामनरेश की विदाई
सूत्रों का कहना है कि व्यापमं घोटाले में नाम सामने आने के तत्काल बाद राज्यपाल रामनरेश यादव नैतिकता के नाते इस्तीफा देना चाहते थे परंतु शिवराज ने उन्हें ऐसा करने से रोका। एफआईआर दर्ज होने के बाद एक बार फिर इस्तीफे की बात शुरू हुई लेकिन फिर से शिवराज ने उन्हें रोक दिया। केन्द्र सरकार भी राज्यपाल को वापस बुलाना चाहती थी परंतु शिवराज वहां भी आढ़े आ गए और उन्होंने केन्द्र की कार्रवाई को रुकवा दिया। कुल मिलाकर शिवराज नहीं चाहते कि बाबू रामनरेश यादव मप्र के राजभवन से बाहर निकलें। क्यों नहीं चाहते यह तो वही जानें।
वापस बुलाने के बाद क्या होगा
व्यापमं घोटाले में बाबू रामनरेश यादव के खिलाफ दर्ज एफआईआर सिर्फ इसलिए खारिज हुई है क्योंकि वो मप्र के राज्यपाल हैं और भारत में राज्यपालों को संविधान की धारा 361(2) और (3) के तहत विशेष अधिकार प्राप्त है, अत: उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं की जा सकती परंतु यदि उन्हें वापस बुला लिया गया तो यह विशेष अधिकार उनके पास से चला जाएगा और फिर उनकी एफआईआर भी हो सकेगी और गिरफ्तारी भी।
क्या हैं आरोप ?
व्यापम घोटाले के प्रमुख आरोपी पंकज त्रिवेदी और नितिन महिंद्रा ने एसटीएफ को बताया है कि कम से कम तीन भर्तियां राजभवन से आने वाली सिफारिश पर की गई है। धनराज यादव की बेटी की भर्ती भी व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) के माध्यम से की गई है, जो जांच के घेरे में है। राज्यपाल रामनरेश यादव के निजी सहायक धनराज यादव के खिलाफ प्रकरण दर्ज है। धनराज यादव लंबे समय से रामनरेश यादव के साथ रहा है।