मप्र में महिलाओं को नहीं मिलेगी रजिस्ट्री की छूट

भोपाल। महिलाओं के नाम खरीदी जाने वाली संपत्ति में रजिस्ट्री की छूट मिलने की गुंजाइश फिलहाल इस साल और नहीं है। इसका प्रस्ताव वाणिज्य कर विभाग की आपत्ति के बाद महिला नीति 2015 से हटा दिया गया है। वर्ष 2011 से महिलाओं को रजिस्ट्री में छूट नहीं मिल रही है। वाणिज्यिककर विभाग का कहना है कि जब स्टांप शुल्क 8 प्रतिशत था, तब महिलाओं को 2 प्रतिशत रजिस्ट्री में छूट दी जाती थी, लेकिन जवाहर लाल नेहरू शहरी विकास नवीकरण मिशन योजना (जेएनएनयूआरएम) से किए गए अनुबंध के अनुसार राज्य सरकार ने स्टांप शुल्क 5 प्रतिशत कर दिया है।

इसके चलते महिलाओं को एक प्रतिशत भी छूट संभव नहीं हैं। विभाग के तर्क पूर्ण आपत्ति को देखते हुए महिला नीति से रजिस्ट्री में छूट देने का प्रस्ताव हटा दिया गया है। हालांकि इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया है। मुख्यमंत्री निवास पर 19 मई को होने वाली महिला पंचायत में मुख्यमंत्री महिलाओं को ढाई वर्ष की चाइल्ड केयर लीव देने के साथ महिलाओं को सुरक्षा देने के संबंध में कुछ बड़ी घाेषणाएं करने वाले हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह से प्रस्तावित नीति को नए सिरे से तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इसमें सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही विभिन्न् योजनाओं को शामिल किया जाए। 

इसके अतिरिक्त महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पारिवारिक संपत्ति, मकान, जमीन, खेत एवं सभी तरह की अचल संपत्ति में समान अधिकार देने का प्रावधान भी शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंत्री सिंह ने शनिवार को अपने बंगले पर विभाग के अधिकारियों को बुलाकर नई नीति के प्रारूप को लेकर बैठक की। इसमें ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए एनजीओ, महिला संगठनों और स्व सहायता समूह के सहयोग से मत्स्यपालन, पशुपालन, उद्यानिकी, फूल-फल, औषधीय पौधों की खेती, जैविक खेती के लिए छोटे-छोटे प्रोजेक्ट बनाना व कृषि में उनकी भागीदारी बढ़ाने जैसे प्रावधान शामिल करने पर सहमति बनी है।

ऐसी होगी महिला नीति
सामाजिक सशक्तिकरण - यौन प्रताड़ना के मामलों की मॉनिटरिंग कर जवाबदेही सुनिश्चित करना, अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई करना, गांवों से पलायन करने वाली एवं अल्प संख्यक वर्ग की महिलाओं की जानकारी रखना, इन्हें कोई अवैध गतिविधियों में शामिल न करें। इसकी मॉनिटरिंग करना, कार्यालयों में यौन उत्पीड़न एवं दुराग्रहों के विरूद्ध गठित समिति के निर्णय से असंतुष्ट होने पर जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में अपील करने के अधिकार देना।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य -व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने कंम्प्यूटर सहित आईटी के क्षेत्र में प्रशिक्षण देना, महिलाओं-बालिकाओं से संबंधित डिग्री और कोर्स शुरू करना एवं जिला, ब्लाक एवं ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य परामर्श केन्द्रों की स्थापना एवं ब्लाक स्तर पर टेली मेडिसिन केंद्र स्थापित करना। स्वास्थ्य, एड्स एवं सेक्सुअली ट्रांसमिटेड रोगों एवं उनसे संबंधित कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना।

आर्थिक सशक्तिकरण - शहरी-ग्रामीण क्षेत्र में लिंग विभेद को दूर करना। समान काम अधिनियम का प्रावधान, कार्यक्षेत्र में सुविधा एवं बच्चों की देखभाल की व्यवस्था करना।

राजनैतिक संरक्षण - राजनीतिक दलों की सदस्य महिलाओं की निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण देना।

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