नई दिल्ली। आपके शहर की गलियों में सजीं दुकानों के अलावा ई-बाजार अब भारत में स्थापित हो चुका है परंतु यह हमेशा स्थापित नहीं रहने वाला क्योंकि इसकी जगह अब एम-मार्केट लेने वाला है। अब सारी कंपनियां मोबाइल ऐप्लीकेशंस पर फोकस बढ़ा रही हैं
मोबाइल कॉमर्स बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, अमेजन और क्वीकर जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां देश के छोटे स्टार्ट अप्स को खरीद रही हैं। इसके अलावा, मोबाइल टेक्नोलॉजी पर बड़ी मात्रा में निवेश भी कर रही हैं। इन कंपनियों का मानना है कि आने वाले समय में मोबाइल शॉपिंग का सबसे बड़ा जरिया बन जाएगा। स्नैपडील के प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी मोबाइल टेक्नोलॉजी पर ज्यादा फोकस कर रही है क्योंकि 75 फीसदी ऑर्डर मोबाइल से ही आ रहे हैं। ऐसे में एम-कॉमर्स कंपनियों को अपने साथ जोड़ना बेहद फायदेमंद सौदा है।
एक के बाद एक अधिग्रहण
मोबाइल ई-कॉमर्स पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए स्नैपडील ने हैदराबाद स्थित एम-कॉमर्स कंपनी मार्टमोबी को खरीद लिया है। स्नैपडील ने मंगलवार को जारी बयान में कहा है कि मार्टमोबी अब स्नैपडील परिवार का हिस्सा बन गई है। मार्टमोबी मोबाइल प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों की जरूरत और खरीद अनुभव पर फोकस करेगी।
इससे पहले ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील ने मोबाइल कॉमर्स रिचार्ज कंपनी फ्रीचार्ज का अधिग्रहण कर लिया है। माना जा रहा है कि यह भारतीय इंटरनेट इंडस्ट्री में सबसे बड़े अधिग्रहणों में से एक है। इस सौदे के बाद स्नैपडील और फ्रीचार्ज दोनों मिलकर भारत के सबसे बड़े मोबाइल कॉमर्स प्लेयर बन गए हैं। चीन की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने पेटीएम में 25 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है।
मोबाइल और डाटा सेगमेंट पर फोकस
हाल में स्नैपडील ने जापान की सॉफ्टबैंक से 62.7 करोड़ डॉलर (करीब 3,800 करोड़ रुपए) जुटाए हैं। ऐसे में कंपनी के पास अधिग्रहण के लिए जरूरी पूंजी मौजूद है। वहीं, कंपनी मोबाइल और डाटा सेगमेंट पर फोकस कर रही है। इस समय ई-रिटेलर्स के 60 फीसदी से ज्यादा ट्रांजैक्शन मोबाइल से हो रहे हैं। ऐसे में अगर स्नैपडील, फ्रीचार्ज को खरीदती है तो उसे काफी फायदा होगा।
मोबाइल ऐप से बेहतर यूजर एक्पीरिएंस
देश में ब्राडबैंड के मुकाबले मोबाइल फोन के जरिए इंटरनेट की पहुंच तेजी से बढ़ रही है। प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों का आधे से ज्यादा बिजनेस मोबाइल से आ रहा है। लेकिन प्रोडक्ट रेंज और ऑफर्स की तादाद को देखते मोबाइल वेबसाइट की अपनी सीमाएं हैं। जबकि मोबाइल एप आपके फोन से कॉन्टैक्ट, लोकेशन, यूजर हिस्ट्री का इस्तेमाल कर पर्सनलाइज्ड अनुभव देने में सक्षम है। यही वजह है कि कई ई-कॉमर्स कंपनियां सिर्फ मोबाइल एप की रणनीति पर काम कर रही हैं। उबर कैब सिर्फ मोबाइल एप के जरिए सेवाएं देती है। फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक सचिन बंसल ने ट्वीटर पर लिखा है कि स्टार्ट-अप को सिर्फ मोबाइल पर ही फोकस करना चाहिए।
खास इलाकों में पहुंच आसान
मोबाइल ऐप की एक बड़ी खूबी इसकी लोकेशनल एप्रोच भी है। जिसकी मदद से कंपनियां न सिर्फ खास इलाकों तक पहुंच बना सकती हैं बल्कि लोकेशन आधारित सर्च का विकल्प भी दे सकती हैं। मोबाइल ऐप ग्राहक की लोकेशन, कॉन्टैक्स और खर्च करने की आदत को आसानी से भांप लेते हैं। जिससे उनकी पसंद-नापसंद का पता लगाना आसान हो जाता है। जबकि इसी तरह की जानकारियां जुटाने के लिए वेबसाइट पर लंबे-लंबे फार्म भरवाने पड़ते हैं जो खरीदारी का मजा किरकरा कर देते हैं।
मोबाइल है आने वाले दिनों का किंग
भारत में साल 2014 के दौरान 7 करोड़ मोबाइल इंटरनेट ग्राहकों को जोड़ा है।
20 फीसदी सब्सक्राइबर्स मोबाइल डाटा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
भारत में एंट्री लेवल के डाटा प्लान को लेना विकासशील देशों में सबसे सस्ता है।
साल 2019 तक 12.5 करोड़ ऑनलाइन खरीदार होंगे।
साल 2019 तक 19 अरब डॉलर की बिक्री मोबाइल के जरिए से होगी।
