भोपाल में होगी कुत्तों की नसबंदी

भोपाल। राजधानी में कुत्तों की नसबंदी का काम तेजी से चल रहा है। जिस गति से यह काम हो रहा है, उसके अनुसार शहर के सभी कुत्तों की नसबंदी और उन्हें रैबीज का टीका लगाने का काम दो साल में पूरा हो जाएगा। इस मामले में लोगों को संयम रखना होगा। अभी योजना शुरू हुई है। इसके परिणाम देरी से आएंगे। इसमें सफलता मिलना तय है।

यह बात राष्ट्रीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रिटायर्ड मेजर जनरल डॉ. एमआर खरब ने सोमवार को संवादाताओं से चर्चा में कही। उन्होंने कहा कि राजधानी में 100 लोगों की आबादी पर 4 कुत्ते हैं। इस लिहाज से भोपाल में करीब 75 हजार कुत्ते हैं। इनमें से 25 हजार की नसबंदी कर दी गई है। उन्होंने कहा कि वे खुद नसबंदी केंद्र का दौरा करने गए थे। यहां कुछ खामियां जरूर मिली। इनको दुरुस्त करने को कहा गया है। साथ ही नसबंदी के लिए डॉक्टरों को अपग्रेड करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह का प्रयोग जयपुर, चेन्नाई और ऊटी में भी शुरू किया गया है। जयपुर व चेन्नाई में 12 साल से कार्यक्रम चल रहा है। अब यहां कुत्तों की संख्या नियंत्रित हो गई है। डॉक बाइट के केस भी बहुत कम रह गए। पिछले तीन साल में एक भी रैबीज का केस सामने नहीं आया है। भविष्य में ऐसी ही स्थिति भोपाल की भी होगी।

डॉ. खरब कलियासोत डेम स्थित नंदिनी गौशाला व जहांगीराबाद स्थित पशु चिकित्सालय में संचालित आसरा देखने भी गए। उन्होंने मंत्रालय में कृषि उत्पादन आयुक्त आरके स्वाई, पशु पालन विभाग के प्रमुख सचिव प्रभांशु कमल और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की।

बिना वेतन काम कर रहा आयोग
उन्होंने बताया कि आयोग में अध्यक्ष सहित 28 सदस्य हैं। सभी सेवा भाव से काम कर रहे हैं। बोर्ड का एक भी सदस्य काम के लिए सरकार से वेतन नहीं लेता। सभी निःशुल्क सेवाएं दे रहे हैं। बोर्ड केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन आता है।

केंद्र ने कम किया बजट
डॉ. खरब ने बताया कि बोर्ड का साल भर का बजट 21 करोड़ रुपए था। इसको घटाकर केंद्र सरकार ने 7 करोड़ कर दिया है। इस राशि से देश की 2 हजार गौशालाओं को अनुदान देनाऔर कुत्तों की नसबंदी का प्रोग्राम संचालित किया जाता है।

सिर्फ कागजों पर नसबंदी
इस दौरान नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष मो. सगीर भी मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम अफसरों को ठेके पर नसबंदी का काम दे दिया है। काम सिर्फ कागजों पर चल रहा है। इसकी मॉनीटरिंग नहीं होती। इसके कारण कुत्तों की संख्या कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। शहर के सभी एनजीओ सरकार से अनुदान लेने फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। इससे कार्यक्रम में मौजूद एनजीओ चैरिटेबल वेलफेयर सोसायटी फॉर वूमेन एंड एनीमल की संचालिका निलम कौर ने कहा कि ऐसा नहीं है। आरोप गलत है। उनकी संस्था सरकार से एक पैसा भी नहीं लेती। लेकिन जानवरों के लिए काम करती है। पार्षद को अपने शब्द वापस लेना चाहिए। पार्षद रफीक कुरैशी ने बोर्ड को बताया कि कुत्तों के कारण सुल्तानिया अस्पताल से एक नवजात बच्चे को उठाकर कुत्ते खा गए थे।

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