रिश्वतखोरी: अब तो पुलिसवालों को भी नहीं छोड़ते पुलिसवाले

भोपाल। मप्र के सरकारी संस्थानों की रगों में रिश्वतखोरी अब इस कदर समा गई है कि अब लोग 7 घर भी नहीं छोड़ते थे। एक वक्त हुआ करता था कि पुलिस कर्मचारी, पुलिस परिवार के सदस्यों की मदद किया करते थे परंतु यहां तो एक पुलिस अधिकारी को लोकायुक्त के डीएसपी के बेटे से रिश्वत लेते पकड़ा गया है। 

भ्रष्टाचार पर नकेल कसने वाली विशेष स्थापना पुलिस, लोकायुक्त से लगभग चार माह पहले सेवानिवृत्त हुए उप पुलिस अधीक्षक राजकुमार शर्मा के पुत्र हिमांशु शर्मा खुद रिश्वतखोरी के शिकार हो गए। शिकार करने वाला कोई और नहीं बल्कि सूखी सेवनिया थाने में पदस्थ सहायक उपनिरीक्षक ज्ञानसिंह चंदेल थे। चंदेल ने हिमांशु की एक गुमनाम शिकायत को रफा-दफा करने के लिए पहले दो हजार रुपए लिए। फिर ब्लेमेलिंग शुरू कर दी। थाने के नाम पर 10 हजार स्र्पए और खुद के हिस्से के पांच हजार और कूलर की मांग रख दी। चंदेल की चाहत को बढ़ता देख हिमांशु ने पुलिस अधीक्षक, विशेष स्थापना पुलिस कार्यालय भोपाल में शिकायत कर दी। रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि होने पर सोमवार को सहायक उपनिरीक्षक चंदेल को 15 हजार रुपए लेते लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। 

लोकायुक्त पुलिस के उप पुलिस अधीक्षक उमेश तिवारी, नवीन अवस्थी ने बताया कि हिमांशु शर्मा स्पाटा इंजीनियरिंग कॉलेज के संचालक हैं। सूखी सेवनिया थाने क्षेत्र में आने वाला यह कॉलेज बंद हो चुका है। सूखी सेवनिया थाने में पदस्थ सहायक उपनिरीक्षक ज्ञान सिंह चंदेल ने हिमांशु को फोन करके कथन देने के लिए 15 तारीख को थाने बुलाया था। थाने पहुंचने पर हिमांशु को बताया कि उसके खिलाफ गुमनाम शिकायत हुई है कि वो सातवें सेमेस्टर के छात्रों को फेल करवाने की धमकी दे रहा है।

हिमांशु ने पिता पूर्व डीएसपी राजकुमार शर्मा का परिचय देते हुए कहा कि शिकायत सरासर गलत है। कॉलेज बंद होने पर छात्रों को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित किया जा चुका है। हिमांशु के तर्कों को दरकिनार करते हुए मुकदमा कायम होने का खौफ बताकर मामला रफा-दफा करने की पेशकश रख दी। दो हजार रुपए लेकर हिमांशु को जाने दिया और फिर फोन करके थाने के लिए दस हजार और स्वयं के लिए पांच हजार के साथ कूलर देने की मांग रख दी। 

हिमांशु ने घर पर ये बात बताई और विशेष स्थापना पुलिस में शिकायत कर दी। शिकायत की पुष्टि के लिए एएसआई चंदेल द्वारा रिश्वत की मांग किए जाने की बात रिकॉर्ड कराई। जब प्रमाणित हो गया कि चंदेल ही रिश्वत मांग रहा है तो फिर योजनाबद्ध तरीके से सोमवार को 15 हजार रुपए देने के लिए हिमांशु से संदेश भिजवाकर बुलाया गया। रिश्वत की रकम लेने के लिए एएसआई चंदेल मोटर साइकिल पर एक व्यक्ति को बैठाकर विदिशा बायपास रोड पर शाम पौने छह बजे के लगभग आया। जैसे ही हिमांशु ने चंदेल को 15 हजार रुपए दिए ताक में बैठी लोकायुक्त टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।

कोई लिहाज नहीं
हिमांशु ने एएसआई को बताया था कि उसके पिता राजकुमार शर्मा लोकायुक्त में उप पुलिस अधीक्षक के पद से कुछ माह पूर्व ही सेवानिवृत्त हुए हैं, पर चंदेल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उसने हिमांशु से दो-टूक कहा कि पुलिस में रहे हैं तो क्या हुआ। मामले को रफा-दफा करना है तो व्यवस्था तो करनी ही पड़ेगी।

एक हफ्ते में दूसरा एएसआई
लोकायुक्त पुलिस ने दो दिन पहले ही बैरागढ़ में पदस्थ रहे एएसआई आईएस राजपूत को रिश्वत के मामले में आरोपी बनाया है। राजपूत ने बैरागढ़ में किराए की दुकान में लीना साड़ी सेंटर चलाने वाले कारोबारी से दुकान खाली न करने के ऐवज में 25 लाख की रिश्वत मांगी थी। पांच लाख रुपए दुकानदार राजपूत को पहले दे चुका था और पचास हजार रुपए लेता उसका एजेंट 15 मई को रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ। इसके पहले 13 दिसंबर 2014 को पिपलानी थाने के एएसआई भरत सिंह तोमर को प्रापर्टी डीलर के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए एक लाख की रिश्वत लेते पकड़ा था। तोमर ने भी सांची दूध पार्लर के संचालक के जरिए रिश्वत ली थी और ढाई-तीन मिनट बाद रिश्वत की राशि लेने पहुंए गए थे। प्रकरण में थानेदार सुबोध तोमर को भी आरोपी बनाया गया था।

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