इटारसी। हरदा के डिप्टी कलेक्टर कृष्ण कुमार रावत को जेएमएफसी कोर्ट ने दहेज प्रताडऩा मामले में दो धाराओं में अलग-अलग एक-एक वर्ष और दो-दो हजार अर्थदंड की सज़ा सुनाई। रावत की मां श्रीमती शिववती रावत और बहनाई राकेश चौधरी को भी एक-एक वर्ष की सज़ा और दो-दो हजार का जुर्माने का दंड कोर्ट ने दिया है। मामले में 9 साल बाद फैसला आया है।
दो लाख रुपए नगद मांगते थे
अधिवक्ता पारस जैन ने बताया कि सन् 2005 में इटारसी के पास ग्राम घाटली निवासी कृष्ण कुमार रावत का विवाह पुरानी इटारसी निवासी नंदकिशोर मेहतो की पुत्री भारती से हुआ था। विवाह के कुछ माह बाद से ही भारती को दहेज के लिए प्रताडि़त किया जाने लगा था। कृष्ण कुमार रावत और उनके परिजन भारती के परिजनों से दो लाख रुपए नगद की मांग करते थे। नहीं देने पर उसे तरह-तरह से प्रताडि़त किया जाता था। बताया जाता है कि प्रताडऩा में कृष्ण कुमार रावत की मां श्रीमती शिववती, बहनोई राकेश चौधरी और कृष्ण कुमार की बहन भी शामिल थी। राकेश चौधरी पेशे से शिक्षक है। मामला कोर्ट में था, उसी दौरान केके रावत की बहन की मृत्यु हो चुकी थी।
रक्षा विभाग में बाबू थे केके रावत
बताया जाता है कि जिस वक्त कृष्ण कुमार रावत का भारती से विवाह हुआ था, तब वे रक्षा विभाग में बाबू थे, एएसआई रेंक थी तथा सागर में पदस्थ थे। उन्होंने इसी दौरान तैयारी करके परीक्षा पास की और डिप्टी कलेक्टर बने। भारती के पिता ने विवाह के वक्त दहेज में टाटा इंडिका कार दी थी। उन्होंने यह फाइनेंस करायी थी। केके रावत ने उन पर जल्द से जल्द किश्तें पूरी करने का दबाव भी बनाया था। जब किश्तें पूरी हो गईं तो केके रावत ने कार बेच दी।
फैसला सुन आया पसीना
बताया जाता है कि जिस वक्त न्यायायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी वैभव सक्सेना मामले में सज़ा सुना रहे थे, कोर्ट में मौजूद केके रावत को पसीना आ रहा था। वे पसीना पोंछ रहे थे। सज़ा के वक्त उनकी मां शिववती और बहनोई राकेश चौधरी भी मौजूद थे। कोर्ट ने धारा 498 ए में तीनों को एक-एक वर्ष का कठोर कारावास और दो-दो हजार रुपए जुर्माना तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत प्रत्येक को एक-एक वर्ष का कठोर कारावास और दो-दो हजार रुपए जुर्माने की सज़ा सुनाई है।
