व्यापमं घोटाला: STF की फाइलें दबाकर बैठे हैं शिवराज

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक तरफ एसटीएफ को स्वतंत्रता देने का दावा करते हैं वहीं दूसरी ओर पिछले 7 महीने से उनके भत्तों की फाइलें दबाकर बैठे हैं। जांच अधिकारी अपनी जेब से पैसा खर्च करके जांच कर रहे हैं। 

गृह विभाग ने एसटीएफ के कर्मचारियों को 30 प्रतिशत विशेष भत्ता देने का प्रस्ताव कैबिनेट के लिए भेजा था, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अनुमोदन न हो पाने से फाइल आगे नहीं बढ़ी। इसके पहले वित्त विभाग की आपत्ति के चलते फाइल महीनों तक लंबित रही। उनका कहना था कि एसटीएफ भी पुलिस के अन्य बल की तरह काम कर रहा है, ऐसे में उसे 30 प्रतिशत अतिरिक्त विशेष जोखिम भत्ता देने की क्या आवश्यकता है। 

वित्त की आपत्ति के बावजूद गृह विभाग ने कैबिनेट के लिए प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री के पास भेज दिया, जिसे वहां भी यही तर्क देते हुए रोक लिया गया है कि जब एसटीएफ का गठन ही विशेष कार्य के लिए हुआ तो अतिरिक्त भत्ता देने का प्रश्न नहीं उठता। एसटीएफ के अधिकारी भत्ते की फाइल क्लीयर कराने मंत्रालय के चक्कर काट रहे हैं।

दूसरे मामलों की जांच की भी जिम्मेदारी
व्यापमं जांच के लिए गठित एसटीएफ को राज्य सरकार ने दूसरे तरह के मामलों में प्रकरण दर्ज कर जांच करने के लिए आईजी एसटीएफ कार्यालय को थाना घोषित कर दिया है। इस संबंध में राज्य सरकार नोटिफिकेशन भी जारी कर चुकी है। थाने में उग्रवादियों, आतंकवादियों, असमाजिक तत्वों और संगठित विध्वंसकारी एवं विधि विरूद्ध गतिविधियों से संबंधित मामलों में केस दर्ज कर जांच की जा सकेगी। इसके अतिरिक्त सरकार जरूरत पड़ने पर इनसे अन्य आर्थिक अपराधों के मामलों की जांच भी करा सकेगी।

थाने का अधिकार क्षेत्र पूरा प्रदेश रखा गया है। उल्लेखनीय है कि थाने का दर्जा मिलने के बाद ही एसटीएफ में प्रतिनियुक्ति पर पदस्‍थ आला अफसरों ने विशेष जोखिम भत्ते का प्रस्ताव बनाकर गृह विभाग को भेजा था। उनका कहना था कि एसटीएफ का काम पुलिस से हटकर जोखिम भरा है ऐसे में उन्हें सरकार से प्रोत्साहन राशि के रूप में यह भत्ता मिलना चाहिए।

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