मुसलमानों से वोटिंग राइट छीन लेने चाहिए: शिवसेना

भोपाल। शिवसेना सांसद संजय राउत ने मुसलमानों से वोटिंग राइट छीनने की वकालत की  है। पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे आर्टिकल में कहा गया है कि मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल होने से बचाने के लिए उनके वोट करने पर बैन लगा देना चाहिए। उन्होंने ओवैसी बंधुओं पर हमला बोलते हुए उन्हें 'संपोले' और उनकी पार्टी को 'सांपों का बिल' करार दिया है।

एमआईएम के नेताओं अबरुद्दीन और असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधते हुए राउत ने लिखा है, 'मुसलमानों के वोटों का जिम्मा ओवैसी ने लिया है। किसी वक्त यह ठेका जामा मस्जिद के शाही इमाम ने लिया था, उसके बाद मुल्ला मुलायम यानी मुलायम सिंह यादव ने लिया। यह देश और मुसलमानों के लिए खतरे की घंटी है। हैदराबाद का ओवैसी और उसका भाई कहीं भी जाकर जहर उगलते है। हमारे देश में स्वतंत्रता के नाम पर अति हो रही है।'

आगे राउत लिखते हैं, 'मुसलमानों की बस्तियों में जाकर भड़काऊ भाषण देने और धर्मांधता की आग लगाकर अपनी रोटियां सेंकने वाले ओवैसी पहले भी पैदा हुए हैं और आगे भी होते रहें। लेकिन मुसलमानों को ऐसे ओवैसियों की जरूरत क्यों पड़ती है? उन्हें कोई संयम रखने वाला अच्छा नेता क्यों नहीं पचता? शायद हिंदू नेताओं की भी ऐसी ही इच्छा होती होगी कि मुसलमानों में कोई जाहिल और सिरफिरा तैयार हो। क्योंकि जब तक देश क मुसलमानों के वोट बंटते नहीं है, तब तक प्रखर 'राष्ट्रवादी' कहलाने वाले नेताओं की रोटी नहीं सिंकती। सभी मुसलमानों को अलग-थलग रखना चाहते हैं।'

राउत लिखते हैं कि जब एमआईएम जैसी पार्टियों के नेता जहर उगलते हैं, तब हमें खुशी मिलती है, क्योंकि हिंदू वोटर आक्रोशित होकर वोट डालते हैं। उन्होंने लिखा है, 'लालू और मुलायम जबह मुसलमानों की खुशामद करते हैं या आजम खान वगैरह अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की चमचागिरी करते हैं, तो हम खुश होते हैं कि चलो अच्छा हुआ, प्रचार का मुद्दा हाथ लग लगा। जब अबु आजमी भड़काऊ भाषणों से हिंदुओं को उकसा रहा था, तब हमारे मन में राष्ट्रवाद नाच रहा था। लेकिन यह जहर अगर इसी तरह से उफान मारता रहा, तो क्या यह देश और हिंदू समाज बचा रहेगा? इस बारे में कोई नहीं सोचाता।'

शिवसेना सांसद ने आशंका जताई है कि 50 सालों में मुसलमानों की जनखंख्या बढ़ने से 'हिंदुस्थान' इस्लामिक राज्य बन जाएगा। उन्होंने लिखा है, 'आज ओवैसी और आजमी की मदद करने वाली नई पीढ़ियां तब क्या करेंगी? किसी के ध्यान में यह क्यों नहीं आ रहा कि हम गुलाम बन जाएंगे और इस्लामिक राज्य का बोझ ढो रहे होंगे।' ओवैसी बंधुओं को पढ़े-लिखे हैवान बताते हुए लिखा गया है, 'उनका सपना पाकिस्तान का निर्माण करना है। वे आंध्र में ही आजाद मुस्लिम राज्य बनाना चाहते हैं। मुस्लिम लीग से उनका गठबंधन है। इनमें से एक भाई ने तो सुधारवादी लेखिका तसलीमा नसरीन को मारने तक की धमकी दी थी।'

ओवैसी के कई भड़काऊ भाषणों का जिक्र करने के बाद राउत लिखते हैं, 'मुसलमानों का वोट बैंक अब चिंता के साथ-साथ सिरदर्दी का विषय बबन गया है। उनके दुखों, गरीबी, अशिक्षा के नाम पर हर कोई वोट बैंक की राजनीति करता है। हर किसी को मुसलमानों के वोट खाने वाला उम्मीदवार चाहिए होता है। राजनीति में मुसलमानों की जनसंख्या का यही महत्व अगर बाकी रहता है, तो उनका विकास कभी नहीं हो सकता। जब तक मुसलमानों के वोट बैंक पर राजनीति होती रहेगी, तब तक देश के मुसलानों का कोई भविष्य नहीं होगा।'

ओवैसी बंधुओं पर निशाना साधते हुए राउत ने लिखा है, 'इन बंधुओं में से एक ने बेहराम पाड़ा में आकर चुनौती दी। इनकी चुनौतियां खोखली होती हैं। ओवैसी कहता था कि मोदी हैदराबाद आकर दिखाएं। मोदी गाजे-बाजे के साथ हैदराबाद आए और ओवैसी हाथ मलता रह गया। अब कहता है उद्धव हैदराबाद आएं। ओवैसी से यह पूछना है कि हैदराबाद किसी लाहौर, कराची या पेशावर में नहीं है न? वह हिंदुस्थान में है। मराठियों का परचम सरहद पार पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कंधार तक लहाराया था। ओवैसी ये न भूलें कि जिस हैदाराबाद की वे डींगें हांकते हैं, वहां से निजाम नामक पाकिस्तानी दुम दबाकर भागा था। उसके गुर्गे यह न भूलें कि कैसे सरदार पटेल के सामने घुटने टेककर समर्पण किया था।'

संजय राउत ने लिखा है कि इसीलिए शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने मुसलानों के वोटों की सौदेबाजी रोकने के लिए उनका मतदान का अधिकार छीनने की मांग की थी। इसे सही बताते हुए राउत ने लिखा है, 'जिस दिन ऐसा हो गया, उस दिन सभी सेकुलरवादियों के चेहरे के मुखौटे उतर जाएंगे। यह सामने आ जाएगा कि मुसलमानों की बदहालियों के लिए कितने ओवैसियों में अपनापन पैदा होता है। यह फैसला राजनीतिक न होकर राष्ट्रीय होना चाहिए। मुसलमानों के वोट बैंक सांपों के बिल हैं। बिलों में से चींटियां बाहर भी आ जाएं, लेकिन संपोले पलते रहते हैं। वोटों के बिलों में हाथ डालने वालों, सावधान हो जाओ। इसमें देशहित नहीं है।'
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