जबलपुर। गरीब वर्ग के बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा देने के मकसद से लागू किए गए राइट टु एजुकेशन (आरटीई) कानून 2009 का सीबीएसई स्कूल जमकर मखौल उड़ा रहे हैं। कानून के तहत स्कूल की 25 फीसद सीट पर गरीब तबके के बच्चों को एडमिशन दिए जाने का नियम है। मगर एक दर्जन से अधिक सीबीएसई स्कूल एडमिशन नहीं दे रहे। जिला शिक्षा केन्द्र ऐसे स्कूलों पर सख्ती से कार्रवाई करने की बजाए सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है।
रिसीविंग देकर भटका रहे
स्कूलों के खिलाफ शिकायत लेकर जिला शिक्षा केन्द्र पहुंच रहे अभिभावकों ने बताया कि आरटीई के तहत पहले फेज में स्कूलों ने फार्म जमा कर रिसीविंग तो दे दी लेकिन एडमिशन देने में टाल मटोल कर रहे हैं। वहीं कुछ स्कूल सीट खाली न होने का हवाला देकर फार्म लेने से ही मना कर रहे।
रिकॉर्ड दिखाने में परहेज
डीपीसी एमएल पाठक द्वारा पहले फेज में एडमिशन की जानकारी जुटाने जब बीआरसी से स्कूलों की जांच कराई गई तो उसमें भी विभाग को नाकामी ही हाथ लगी। बीआरसी अरुण शर्मा, सत्येन्द्र सिंह की मानें तो जांच के दौरान नामचीन बड़े स्कूल एडमिशन देने की बात तो कह रहे लेकिन रिकार्ड दिखाने से बच रहे हैं। किस कक्षा में कितनी सीटे हैं और उनमें से कितनी सीट पर 25 प्रतिशत एडमिशन दिए, जानकारी नहीं दे रहे।
एडमिशन न देने के बहाने
बच्चे की उम्र, बीपीएल कार्ड में निकाल रहे खामियां।
जाति प्रमाण पर फंसा रहे पेच।
एडमिशन देने तैयार पर अभिभावक आते ही नहीं।
इनके खिलाफ मिली शिकायत
महर्षि स्कूल विजय नगर
आदित्य कान्वेंट
स्मॉल वंडर
अशोका हॉल
लिटिल वर्ल्ड
ओबराय इंटरनेशनल
रक्षा इंटरनेशनल
ज्ञानोदय
(स्रोत- जिला शिक्षा केन्द्र)
जेल भेजने का प्रावधान
आरटीई एक्ट के तहत स्कूल की मान्यता रद्द करने का अधिकार।
एडमिशन न देने के पुख्ता प्रमाण पाए जाने पर स्कूल प्रबंधन पर एफआईआर का प्रावधान।
सबूत के आधार पर तीन साल से अधिक की सजा का प्रावधान।
करीब 25 स्कूल आरटीई के तहत कमजोर वर्ग को एडमिशन नहीं दे रहे। स्कूलों से पत्राचार किया जा रहा है। दूसरे फेज में भी स्कूलों ने एडमिशन नहीं दिए तो आरटीई के तहत कलेक्टर से कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।
एमएल पाठक, डीपीसी
सीबीएसई स्कूल रिकार्ड नहीं दिखा रहे जिससे एडमिशन की वास्तविक स्थिति पता नहीं चल रही।
सत्येन्द्र सिंह, बीआरसी,नगर