महेश मिश्रा/भिंड। भिंड में किसानों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। आज एक और किसान की मौत हो गई। किसान के पास मात्र 4 बीघा जमीन थी, वो भी ओलों में पिट गई, पटवारी ने सर्वे ही नहीं किया। इधर बेटे की फीस जमा करानी थी। इसके साथ भिंड में मरने वाले किसानों की संख्या 12 हो गई है। सवाल यह है कि 6-6 बच्चे पैदा करने वाले किसानों को कोसने वाले भिंड कलेक्टर इस मौत पर क्या कहेंगे।
मेहगाॅव के सूरजपुरा गाॅव के किसान बलबीर नरवरिया की चार बीघा जमीन की फसल पिछले दिनों हुई बे मौसम बरसात और ओला वृष्टि के कारण बर्बाद हो गई थी। उसकी फसल का सर्वे हुआ और ना ही राहत की कोई उम्मीद थी। ऐसे मे बेटे की फीस के लिये पचास हजार रुपये की व्यवस्था न कर पाने से किसान परेशान चल रहा था और इसी सदमे के चलते आज उसकी मौत हो गई।
- सवाल यह है कि
- भिंड कलेक्टर क्यों बार बार इस बात को नकार रहे हैं कि भिंड में किसानों की हालत बहुत ज्यादा खस्ता है।
- क्यों भिंड के किसानों के लिए कोई विशेष राहत की मांग नहीं की जा रही है।
- क्यों इस संवेदनशील मुद्दे को राजनैतिक बनाने का मौका दिया जा रहा है।
- क्यों भिंड कलेक्टर सरकार के पास सही रिपोर्ट नहीं भेज रहे हैं।
- क्या एक किसान को अपने बेटे को पढ़ाने का भी हक नहीं।
- सरकारी मदद वैसे भी बहुत कम होती है, और उसे भी किसानों तक नहीं पहुंचने देना क्या यह जघन्य अपराध नहीं।
- क्या भिंड में केवल उन्हीं किसानों को मुआवजा दिया जाएगा जो सुविधा शुल्क अदा करने में सक्षम हैं।
- क्या निर्धन किसानों को इंसाफ इस बार भी नहीं मिलेगा।