लड़की यदि चुप है तो समझो 'ना': अदालत का फैसला

नईदिल्ली। तीस हजारी कोर्ट अदालत ने शादी के नाम पर लड़की से बार-बार रेप के जुर्म में एक व्यक्ति को 10 साल कैद की सजा सुनाते हुए कहा है कि जब लड़की शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपनी सहमति न दे, तो इसे निश्चित रूप से उसकी 'ना' माना जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी महिला की शारीरिक संबंधों के लिए सहमति केवल इस आधार पर तय नहीं की जा सकती कि उसका उस व्यक्ति से लव अफेयर है।

अडिशनल सेशन जज (एएसजे) कावेरी बावेजा ने कहा, मेरा मानना है कि जब कोई लड़की फिजीकल इंटिमैसी के लिए अपनी सहमति ना दे तो उसे उसकी 'नहीं' माना जाना चाहिए। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि चूंकि उसका आरोपी के साथ लव अफेयर है, इसलिए उसने उसके साथ सेक्सुअल रिलेशन बनाने के लिए सहमति जरूर दी होगी।

अदालत ने सेंट्रल दिल्ली के पहाड़गंज निवासी राजीव मौर्य को शादी के नाम पर लड़की के साथ बार-बार रेप करने और उसे धमकी देने का दोषी पाया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 26 वर्षीय महिला ने यह आरोप लगाते हुए पहाड़गंज पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह और मौर्य पड़ोस में रहते थे। नवंबर, 2013 से उनमें दोस्ती थी। मौर्य ने उसे यह कहते हुए शादी के लिए प्रपोज किया कि वह इस बारे में दोनों के परिवारों से बात करेगा। आरोपी ने महिला को इस बारे में किसी से भी जिक्र ना करने के लिए भी कहा। 6 अप्रैल 2014 को वह एक दोस्त की बर्थडे पार्टी के नाम पर उसे पहाड़गंज के एक होटल में ले गया और वहां उससे जबर्दस्ती दो बार शारीरिक संबंध बनाए। जब उसने इसका विरोध किया तो आरोपी ने कहा कि वह उससे शादी करेगा।

जब भी पीड़िता उससे शादी के बारे में बात करती, तो वह उसे जल्द ऐसा करने का भरोसा दिलाता। बाद में उसने शादी करने से मना कर दिया और लड़की को स्यूसाइड कर लेने के लिए कहा। उसने लड़की को समाज में बदनाम करने की भी धमकी दी। पीड़िता ने सारी घटना अपनी मां को बताई, जिसके बाद यह कंप्लेंट फाइल की गई। अदालत ने मौर्य पर 5 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया और कहा कि यह रकम पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी।

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