भोपाल। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार से फसल को हुए नुकसान के बदले किसानों को अधिक मुआवजा देने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिला प्रशासकों को नुकसान का दोबारा आकलन करने का निर्देश दिया है। देश भर में बड़े पैमाने पर किसानों की फसल को हुए नुकसान को देखते हुए केंद्र ने उन किसानों को भी मुआवजा देने का फैसला किया, जिनकी कम से कम 33 फीसदी फसल खराब हुई है। अभी तक नियम के अनुसार उन्हीं किसानों को सरकार मुआवजा देती थी, जिनकी कम से कम 50 फीसदी फसल खराब हुई हो।
हालांकि मध्यप्रदेश सरकार ने उन किसानों को भी मुआवजे के दायरे में रखा है, जिनकी 25 फीसदी फसल खराब हुई है, लेकिन बेमौसम बारिश और फसल को हुए नुकसान का दोबारा आकलन करने से राज्य के आपदा प्रबंधन कोष में अधिक रकम आ सकती है। राज्य के राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव अरुण तिवारी ने बताया, 'राज्य ने न्यूनतम 25 फीसदी नुकसान के बदले मुआवजा देने का फैसला किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने 33 फीसदी फसल नुकसान के नए नियम जारी कर दिए। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टिï से प्रभावित सभी किसानों को नए नियमों के तहत दोबारा नुकसान का आकलन करने के संदेश दिए गए हैं। इससे बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन हम देखेंगे कि शायद इससे राज्य आपदा प्रबंधन कोष को अधिक रकम मिल सके।'
मध्य प्रदेश के आपदा प्रबंधन कोष में 877 करोड़ रुपये हैं। इस साल मार्च में पूरे राज्य में बेमौसम बारिश और जबरदस्त ओलावृष्टिï हुई है, जिसमें 3.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैली फसल को नुकसान हुआ और लगभग 4.25 लाख किसान प्रभावित हुए। तिवारी ने बताया, 'फसल को करीब 1,166 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।' राज्य सरकार ने किसानों को करीब 375 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, 'प्रभावित किसानों के इस महीने के अंत तक राहत की रकम हस्तांतरित कर दी जाएगी।' बेमौसम बारिश और ओलावृष्टिï से राज्य के 36 जिलों की फसल को नुकसान हुआ है। शुरुआती खबरों के अनुसार फसल को करीब 2,123 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान था। यह लगातार तीसरा रबी सत्र है, जब राज्य में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टिï की मार पड़ी है। अच्छी बात है कि इसके बावजूद राज्य में कृषि विकास दर दोहरे अंकों में होती है और वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान यह 24.99 फीसदी रही थी।