अब 'घुचडूं' राइटिंग में पर्चा नहीं लिख पाएंगे डॉक्टर

भोपाल। डॉक्टर अब ऐसी राइटिंग में पर्चा नहीं लिख पाएंगे जिसे या तो वो ही पढ़ पाएं या उनका मेडिकल स्टोर वाला। उन्हें साफ साफ राइटिंग में पर्चा लिखना होगा। दवाओं का नाम अंग्रेजी के बड़े अक्षरों (कैपिटल लेटर्स) में लिखने के साथ ही पर्चे में दी जगह पर फार्मासिस्ट को अपना नाम, दवा स्टोर का नाम और तारीख लिखनी होगी। पूरी जानकारी तय फॉरमेट में लिखी जाएगी।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के निर्देश के बाद मप्र मेडिकल काउंसिल (एमपीएमसी) इस पर एक-दो दिन में अमल करने जा रही है। एमपीएमसी में करीब 26 हजार डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं।

एमपीएमसी के अध्यक्ष डॉ. केके ठस्सू ने बताया कि इस संबंध में एक-दो दिन में प्रदेश के सभी सीएमएचओ, सिविल सर्जन, यूनाइटेड डॉक्टर्स फोरम को एमसीआई के फॉरमैट के साथ निर्देश जारी हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि एमसीआई ने पर्चे (प्रिसक्रिप्शन) का फॉरमैट भेजकर इसे अनिवार्य रूप से लागू कराने के लिए कहा है। यह फॉरमैट एलोपैथी में इलाज करने वाले सभी सरकारी और निजी डॉक्टरों पर लागू होगा। डॉ. ठस्सू ने बताया कि फिलहाल सभी डॉक्टरों तक यह जानकारी पहुंचाई जा रही है। फॉरमैट मिलने के बाद भी अगर वे निर्देशों का पालन नहीं करते तो काउंसिल के नियमों के अनुसार एथिकल कमेटी इस मामले में कार्रवाई करेगी।

यह होगा पर्चे में
डॉक्टर का नाम
क्वालिफिकेशन
पता, कांटेक्ट नंबर और ई-मेल आईडी
मरीज का नाम
मरीज का पता
उम्र, लिंग और वजन
दवाओं के नाम
(स्ट्रेग्थ, डोज, अवधि और मात्रा कैपिटल लेटर में )
डॉक्टर के दस्तखत और मुहर

  • यह होगा फायदा
  • मप्र से कई लोग विदेश आते-जाते रहते हैं। ज्यादातर देशों में प्रिंटेड प्रिस्क्रिप्शन चलते हैं। डॉक्टरों की साफ राइटिंग नहीं होने की वजह से मरीज की हिस्ट्री व दवाएं जानने में मुश्किल होती है। सारी जानकारी कैपिटल लेटर में होने पर मरीज को दूसरे देश या राज्य में डॉक्टरों से सलाह लेने में कोई परेशानी नहीं होगी।
  • मरीज को यह जानने में आसानी होगी कि डॉक्टर ने मरीज को कौन सी दवा लिखी है।
  • सरकारी अस्पतालों के पर्चे में डॉक्टर का नाम नहीं रहता। इस वजह से जब मरीज दोबारा इलाज के लिए आता है तो उसे डॉक्टर को ढूंढ़ने में मुश्किल होती है।
  • पर्चे में डॉक्टर का पंजीयन नंबर भी रहेगा। मप्र मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट में पंजीयन नंबर डालकर डॉक्टर की योग्यता देखी जा सकेगी।
  • फर्जी मेडिकल सर्टीफिकेट बनाना डॉक्टरों के लिए आसान नहीं होगा।


कैपिटल लेटर में दवाएं लिखने से समय ज्यादा लगेगा। जरूरी है कि डॉक्टर पठनीय राइटिंग में लिखें। एमसीआई ने डॉक्टरों के पर्चे को लेकर एक फारमैट तैयार किया है। डॉक्टरों के संगठनों ने भी अपनी राय एमसीआई को दे दी है।
डॉ. उमेशा शारदा,
अध्यक्ष, नर्सिंग होम एसोसिएशन

कैपिटल या स्माल लेटर से बहुत मतलब नहीं है। डॉक्टरों की लिखावट प़ढ़ी जाने लायक होनी चाहिए। आईएमए से जुड़े अधिकतर डॉक्टर अब कंप्यूटर से पर्चे तैयार कर रहे हैं, इसलिए यह दिक्कत नहीं है। डॉक्टर को अपने पर्चे में दवा के नाम के साथ ही उसमें मिली दवा (कंपोजीशन ) का नाम भी लिखना चाहिए। कई दवाओं के नाम मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन कंपोजीशन अलग-अलग।
डॉ. एसके निगम,
प्रेसीडेंट, आईएमए

डॉक्टर कैपिटल लेटर में दवाएं लिखें यह अच्छी बात है। हम पहले से ही इसके लिए प्रयास कर रहे हैें। अगर मरीज को गलत दवा दी जाती है तो उसका बड़ा नुकसान हो सकता है। कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ने के बाद यह समस्या खत्म हो जाएगी। कैपिलेटर में दवा लिखने का व्यवस्था सब पर एक साथ लागू होनी चाहिए।
डॉ. डीके वर्मा,
पूर्व अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल

यदि इसके बाद भी डॉक्टर गलतियां कर रहा है तो कृपया इस पते पर शिकायत करें 

Dr.Umesh Sharda
Secretariat-Sharda Hospital & Diagnostic Centre
189-A, Aradhana Nagar, Kotra Sultanabad, Bhopal
Ph : 0755-2774376 , 2774378 , 4286608
Fax : 0755-4058306
E-mail : sharda_hospitalbpl@rediffmail.com

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