पेंशन स्कीम: विरोध के बाद मोदी सरकार का यूटर्न

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 1,000 रुपये की मिनिमम मंथली पेंशन स्कीम को जारी रखने का फैसला किया। इस कदम से एम्प्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन की पेंशन स्कीम के तहत कवर होने वाले करीब 20 लाख रिटायर्ड लोगों को फायदा होगा। इससे पहले मिनिमम मंथली पेंशन की स्कीम 1 अप्रैल से बंद हो गई थी। मोदी सरकार इसे कंटीन्यू करने के मूड में नहीं थी और इसका जबर्दस्त विरोध देखा गया था।

कैबिनेट ने कंपनीज (अमेंडमेंट) बिल 2014 में बदलावों को भी मंजूरी दे दी। यह बिल संसद में लंबित है। इन बदलावों से देश में बिजनेस करना आसान होगा। कैबिनेट ने पेंशन स्कीम से जुड़ी लायबिलिटी पूरी करने के लिए 850 करोड़ रुपये का अनुदान भी मंजूर किया।

एम्प्लॉयीज पेंशन स्कीम 1995 सितंबर 2014 से लागू थी। इसकी अवधि 31 मार्च 2015 में खत्म हो गई थी। उसके बाद ईपीएफओ ने पहले वाला प्रावधान अपना लिया था। इस पर ट्रेड यूनियनों ने कड़ा विरोध जताया था।

ईपीएस के तहत बड़ी संख्या में पेंशनर्स को मामूली पेंशन मिली क्योंकि इसकी गणना या तो पेंशन योग्य सेवा काल के आधार पर किया गया या आखिरी 60 महीनों के वेतन के औसत के आधार पर।

यूपीए सरकार ने फरवरी 2014 में ईपीएस के पेंशनर्स को 1,000 रुपये की मिनिमम मंथली पेंशन देने का प्रस्ताव स्वीकार किया था। यह पेंशन 2014-15 के लिए दी जानी थी। इसके लिए 1,217.03 करोड़ रुपये का बजटीय सपोर्ट मुहैया कराया गया था।

हालांकि इस प्रस्ताव पर अमल बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने पिछले साल पहली सितंबर से किया, जब ईपीएस एक्ट में जरूरी संशोधन हो गए।

कैबिनेट ने कंपनीज (अमेंडमेंट) बिल 2014 में बदलावों को भी मंजूर किया ताकि कंपनियों को कारोबार शुरू करने से पहले डिक्लेयरेशन फाइल न करना पड़े। इन बदलावों के चलते कंपनियों के लिए कंप्लायंस रिक्वायरमेंट्स घटेंगी और उनके लिए कारोबार शुरू करना आसान होगा।

कंपनीज एक्ट 2013 के अनुसार, कंपनी के अस्तित्व में आने के बाद उसे 30 दिनों के भीतर इस बात का सर्टिफिकेट लेना होता था कि वह कारोबार शुरू कर रही है। उससे पहले वह कोई एक्टिविटी नहीं कर सकती थी।
इससे पहले के कंपनीज एक्ट 1956 के अनुसार, केवल पब्लिक कंपनियों को कारोबार शुरू करने से पहले सर्टिफिकेट की जरूरत होती थी। हालांकि पिछले साल अप्रैल से लागू हुए कंपनीज एक्ट 2013 के तहत सरकार ने प्राइवेट और पब्लिक, दोनों तरह की कंपनियों के लिए इस शर्त को अनिवार्य कर दिया था।

कैबिनेट ने जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत चल रहे प्रोजेक्ट्स को दो साल का एक्सटेंशन दे दिया है, जिससे पक्का मकान पाने में 3 लाख से ज्यादा शहरी गरीबों को सहूलियत हो सकती है।

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