सजीधजी दुल्हन को उठा ले गई पुलिस, बारात नजरबंद

इंदौर। सरकारी लापरवाहियां समाज पर कितनी भारी पड़तीं हैं यह मामला इसका एक उदाहरण है। घटना परदेशीपुरा की है जहां पूनम की शादी हो रही थी, वो सजीधजी वरमाला लिए आगे बढ़ रही थी कि तभी पुलिस आ गई और उसे उठा ले गई। रात 11 बजे वापस छोड़ गई, रस्में पूरी हुईं, विदाई का वक्त आया तो फिर पुलिस उठा ले गई।

यह हुआ पूरा घटनाक्रम
परदेशीपुरा में पूनम केवट का बाल विवाह हो रहा है, ऐसी शिकायत महिला सशक्तीकरण विभाग को मिली थी। टीम मौके पर पहुंची तो बरात आ चुकी थी। लड़की की उम्र संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो परिवार के पास नहीं थे। टीम ने मेडिकल जांच कराने का फैसला लिया। हीरानगर थाने की पुलिस ने मंगलवार शाम दुल्हन को परदेशीपुरा थाने छोड़ दिया। वहां लड़की परेशान होती रही और परीक्षण की व्यवस्था नहीं हो सकी तो फिर रात 11 बजे घर ले जाकर छा़ेड दिया।

रात में शादी की रस्में तो हुईं, लेकिन रंग में भंग पड़ जाने से परिवार का पूरा खाना फेंकने में चला गया। रात में ही बरात विदा होना थी, लेकिन अफसरों के दबाव में बरात रुकी रही। बुधवार सुबह फिर अफसर पहुंचे और 10 बजे दुल्हन को एमवायएच लेकर गए। दिनभर दुल्हन चाइल्ड लाइन और विभाग के अधिकारियों के साथ अस्पताल में घूमती रही, लेकिन उम्र की जांच नहीं हो सकी।

इधर, परिजन बरातियों के हाथ-पैर जोड़कर जैसे-तैसे रोकते रहे। जब अधिकारी खुद डॉक्टरों की लापरवाही से परेशान हो गए तो लड़की को फिर घर छोड़कर चले गए। परिवार को यह चेतावनी दी कि हम फिर उम्र की जांच करेंगे। नाबालिग निकली तो कानून के मुताबिक शादी निरस्त हो सकती है।

सवा लाख रुपए का नुकसान
दुल्हन के भाई जितेंद्र केवट ने बताया कि मंगलवार शाम पांच बजे से पुलिस और अफसरों का आना शुरू हो गया था। शाम 7 बजे से शादी का खाना था और अफसर रात 11 बजे लड़की को घर छोड़कर गए। शादी का मजा खराब हो गया और पूरा खाना फेंकना पड़ा। सवा लाख रुपए का नुकसान हो गया। बुधवार को दिनभर बराती परेशान होते रहे। बरातियों के हाथ-पैर जोड़कर उन्हें रोककर रखा, क्योंकि इतना नाटक होने के बाद वे शादी नहीं करना चाह रहे थे। दूसरे दिन भी खाने का खर्च उठाना पड़ा।

शादी में खलल का खेद
परियोजना अधिकारी चित्रा यादव ने कहा कि दुल्हन की उम्र का दस्तावेज नहीं होने से मेडिकल के लिए भेजा था। एमवायएच अधीक्षक को चिट्ठी भी लिखी थी। लगातार अफसरों से बात करते रहे, लेकिन उम्र प्रमाणित नहीं हो सकी। शादी में खलल का खेद है, लेकिन शिकायत मिलने पर जांच करवाना हमारा फर्ज था। जल्दी जांच करना अस्पताल की जिम्मेदार थी।

पुलिस से लिखवाकर नहीं लाए
मेरे पास अधिकारी का फोन आया था तो मैंने लड़की और उस टीम को डॉ. दीपक फणसे के पास जाने के लिए कहा था। उम्र के सत्यापन के लिए नियमानुसार पुलिस से लिखाकर लाने को कहा था, लेकिन वे नहीं लाए, इसलिए सत्यापन नहीं हो सका।
सुनील नारंग, सहायक अधीक्षक, एमवायएच

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