मैं संघ का स्वयंसेवक नहीं हूं: प्रेमजी

धार। संघ के सेवा संगम कार्यक्रम में विप्रो प्रमुख अजीम प्रेमजी, एस्सेल ग्रुप के प्रमुख सुभाष चंद्रा और जीएमआर समूह के जीएम राव भी भागवत के साथ मंच पर थे। प्रेमजी ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख के बुलावे पर आया हूं लेकिन कुछ लोगों ने कहा था कि ऐसा लगेगा कि मैं संघ की विचारधारा पर सहमति जता रहा हूं। मैं कोई राजनीतिक शख्स नहीं हूं, इसलिए सुझावों पर अमल नहीं किया। मैं कहना चाहता हूं कि मेरा किसी के मंच पर बोलना उसकी विचारधारा को पूरी तरह स्वीकार करना नहीं है।’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि 2000 साल के नाकाम प्रयोगों से दुनिया का भ्रम टूट चुका है। ऐसे में भारत को दुनिया को समाज सेवा का नया संबल देना है। जो सबको साथ लेकर, सबकी खुशी और समृद्धि लिए हो। 

भागवत ने नाकाम प्रयोगों पर किसी का उल्लेख नहीं किया। लेकिन संकेत समाज सेवा करने वाली विदेशी मिशनरियों और संस्थाओं की ओर था। उन्होंने कहा, “सेवा कार्य करते समय ‘हिंदू है कि नहीं, हम इसे नहीं मानते। हम मानते हैं कि जो भी दुखी है और कठिनाई में है वह सेवा का पात्र है। यदि हम इसी तरह सेवा करते रहे तो हमारी शाखा बढ़ेंगी। लेकिन सेवा के पीछे यह उद्देश्य नहीं होना चाहिए।’ 

संघ से जुड़े 8000 सेवा संगठनों के प्रतिनिधियों के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा संगम’ आयोजित किया गया है। यह संगठन ‘राष्ट्रीय सेवा भारती’ के तहत काम करते हैं। उन्होंने संघ के समाज सेवी संगठनों के नाम में संघ नाम नहीं जोड़ने का कारण भी बताया। उन्होंने कहा, ऐसा होने पर कुछ लोगों को हिचक हो सकती थी कि इनसे जुड़ने पर वे ‘संघ के कहलाने लगेंगे।’ 

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