ऐ! मेरे शहर ज्यादा स्मार्ट मत हो जाना

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राकेश दुबे@प्रतिदिन। केंद्र सरकार मेहरबान हो गई है और भोपाल का नाम भी स्मार्ट सिटी की में आ गया है| इस खुश खबरी के साथ ही कुछ चिंता खड़ी हो गई है गई है कि शहर स्मार्टनेस में आगे न निकल जाये और यहाँ के निवासी वही के वही रह जाये| अभी भोपाल के कुछ लोग भोपाल की हरियाली बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं| इस हरियाली पर विधायकों की स्मार्ट निगाहें हैं| शहर के बीचोंबीच आवास के नाम पर बाज़ार खड़े करने में इस प्रजाति का कोई सानी नहीं हैं| जवाहर चौक के लगभग सारे मकान दुकानों में बदल गये है| स्मार्ट नेता भोपाल में नहीं रहते पर भोपाल की हर आवासीय परियोजना में किसी न किसी तरह की भागीदारी उनको चाहिए|

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में 100 स्मार्ट सिटी विकसित करने को अपनी मंजूरी दे दी है और अगले महीने से इसकी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके पहले भी जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन जैसी योजनाएं बनी थीं और उनसे शहरों का कुछ विकास भी हुआ, लेकिन वह आधी-अधूरी प्रक्रिया ही थी। शहरों पर ध्यान देना इसलिए भी जरूरी है कि आधुनिक काल में शहरीकरण तेज हुआ है और उदारीकरण के बाद भारत में इसकी रफ्तार बहुत ज्यादा बढ़ गई है। और इस विकास का अपने को भागीरथ मानने वाले चाहे पांच साल के कार्यकाल में विकास का एक भी सवाल नहीं कर पाए हो, स्वयम के विकास की इतनी बड़ी परियोजना क्रियान्वित कर डालते हैं, कि यार-दोस्त तक “बिल्ड्कान” हो जाते हैं| घोषणा के साथ ही कुछ लोगों को बड़े-बड़े सपने आने लगे हैं और कुछ लोगो को अंदेशे सताने लगे है कि जब जब विकास हुआ है गरीबो के घर उजड़े है हरियाली घटी है| स्मार्ट सिटी की गर्म हवा आने लगी है, लू लगने के पहले इस शहर को बचाना|

हालांकि अभी यह अवधारणा काफी धुंधली है और इस मुहावरे को कई अर्थो में इस्तेमाल किया जाता रहा है। भारतीय संदर्भ में इसे ऐसे शहर की तरह देखा जा रहा है, जिसमें डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से ऐसे शहर विकसित किए जाएंगे, जिनमें सभी जरूरी सेवाएं आधुनिक तकनीक से लैस और सुनियोजित होंगी। इन शहरों में आवास, सफाई, पानी, बिजली, स्वास्थ्य और अन्य नागरिक सुविधाएं भरोसेमंद होंगी और सारी प्रशासनिक प्रक्रियाएं पारदर्शी व ऑनलाइन होंगी। इन शहरों के विकास के लिए निजी क्षेत्र से सहयोग लिया जाएगा। इसके अलावा, कई देशों ने भारत में स्मार्ट सिटी के विकास में दिलचस्पी दिखाई है। पर इसके पहले की सारी प्रक्रिया उनके ही हाथों में है जिनके दोस्त “बिल्ड्कान” हैं|

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com


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