भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने विधानसभा सचिवालय में 1993 में कथित तौर पर नियम विरूद्ध हुई नियुक्तियों के मामले में पूर्व सचिव सत्यनारायण शर्मा व पूर्व उपसचिव कमलाकांत शर्मा की गिरफ्तारी को बदले की भावना और राजनैतिक आतंकवाद परोसने की संज्ञा देते हुए कहा कि भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी व शुभारंभ के दौरान ही उनकी गिरफ्तारी का दिन पहले से ही तय कर लिया गया था, ताकि व्यापम महाघोटाले में घिरे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान की संदिग्ध छवि को इसकी आड़ में बचाया जा सके।
आज यहां जारी अपने बयान में इस पुलिसयाई कार्यवाही को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मिश्रा ने कहा कि जिस प्रकरण में विधानसभा सचिवालय के इन दो पूर्व अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई है, उसमें उल्लेखित 17 अन्य आरोपियों में वरिष्ठ नेता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजयसिंह एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी भी शामिल हैं और इन दो गिरफ्तारियों के संदेश से व्यापम महाघोटाले को लेकर राज्य सरकार तथा उसके इशारे पर बदले की भावना से कार्य कर रही पुलिस इस महाघोटाले को लेकर कांगे्रस पार्टी की धार को कमजोर करना चाह रही है, जिसमें उसे निराशा और हताशा ही हाथ लगेगी।
मिश्रा ने कहा कि यदि पुलिसयाई कार्यवाही में जरा भी ईमानदारी है तो विगत 2 मार्च, 2015 को प्रदेश कांग्रेस द्वारा वर्ष 2004 से अब तक विधानसभा सचिवालय में भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों, वरिष्ठ नेताओं, सांसदों और विधानसभा के प्रमुख सचिव के खिलाफ अवैध नियुक्तियों को लेकर जहांगीराबाद थाने में कराई गई प्रामाणिक शिकायत, जिसे लेकर डीआईजी भोपाल और संबंधित सीएसपी ने स्वयं उसी एफआईआर में कांगे्रस द्वारा प्रस्तुत प्रकरण को शामिल कर अनुसंधान करने और दोषियों के विरूद्व कार्यवाही करने की बात की थी, आज लगभग डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी उस पर क्या कार्यवाही की गई, स्पष्ट होना चाहिए। मिश्रा ने कहा कि यदि स्थानीय पुलिस ने कांगे्रस की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की तो पार्टी जिला न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करेगी।
