ग्वालियर। एसआईटी ने बुधवार को हाईकोर्ट में गुलाब सिंह किरार व डॉ. बीआर श्रीवास्तव की गिरफ्तारी को लेकर बंद लिफाफे में अपना जवाब पेश कर दिया। कोर्ट ने इस जवाब को पढ़ने के बाद उसे फिर से सील करने के निर्देश दिए और जबतक कोर्ट नहीं कहे, तबतक इस लिफाफे को नहीं खोला जाए। एसआईटी ने अपने शपथ पत्र पर गुलाब सिंह, डॉ. श्रीवास्तव व अंकित वर्मा के केस का अंतर बताया था। कोर्ट ने अंकित की जमानत खारिज कर दी है।
पुलिस ने धारा 27 (पुलिस रिमांड) के मेमो के आधार पर अंकित वर्मा को पीएमटी कांड में आरोपी बनाया है। अंकित वर्मा ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 31 मार्च की सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में गुलाब सिंह व डॉ. श्रीवास्तव के केस पर अपत्ति दर्ज कराई थी। एक जैसा केस होने के बाद पुलिस बड़े लोगों को गिरफ्तार नहीं कर रही है, जबकि छोटों को परेशान कर रही है।
इस पर हाईकोर्ट ने एसआईटी से शपथ पत्र मांगा था। शासकीय अधिवक्ता राघवेन्द्र दीक्षित ने बंद लिफाफे में शपथ पत्र पेश करने के बाद आग्रह किया कि पुलिस जांच चल रही है। यह केस डायरी का गोपनीय हिस्सा है। अगर इसे ओपन किया जाता है तो केस प्रभावित हो सकता है। कोर्ट ने लिफाफा खोलने के बाद उसे पढ़कर फिर से सील कर दिया। निर्देशित किया कि इसे बिना कोर्ट की अनुमति के कोई नहीं खोल सकता है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को निर्देशित किया कि अपने केस पर बहस कर सकते हैं। कोर्ट ने बहस को सुनने के बाद अंकित वर्मा की जमानत खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में यह दिए तर्क
अंकित वर्मा के खिलाफ पुलिस के पास कोई सबूत नहीं हैं। धारा 27 के मेमो पर केस दर्ज किया गया है।
अंकित चौहान पर जो केस दर्ज है, उसे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, लेकिन अंकित वर्मा के केस का भी नेचर उसी जैसा है, लेकिन जमानत नहीं दी जा रही है।
गुलाब सिंह किरार व डॉ. बीआर श्रीवास्तव पर भी फर्जीवाड़े में एफआईआर दर्ज है, लेकिन धारा 173 (8) का हवाला देकर उनकी जांच की जा रही है। केस पेंडिंग में डाल दिया है।