सतना| पिछले दिनों नेपाल में आई महाप्रलय में फंसे सतना के समाजसेवी जयचंद पाण्डेय जी के सुपुत्र रत्नेश पाण्डेय की दो दिनों बाद सरकार के राहत कार्य कि वजह से सकुशल वापसी हुयी| भारत, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, फ्रांस, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका और नेपाल के संयुक्त तत्वाधान में गठित व एशियन ट्रेक्किंग कंपनी नेपाल की संरक्षण में पिछले छह अप्रैल को एक 14 सदस्यीय दल नेपाल के माउंटएवेरेस्ट की चोंटी को फतह करने के इरादे से काठमांडू के लुक्ला पहुंचा|
जिसमें अन्य देशों के साथियों के साथ भारत के छह नागरिक भी शामिल हुए उसी मेंसतना के रत्नेश पाण्डेय जी भी शामिल रहे| पिछले कई दिनों से पूरा दल लगातार ट्रेनिंग ले रहा था जिसके अगले पडाव में यह दल 23 अप्रैल को एक बार फिर प्रशिक्षण हेतु विभिन्न चोटियों पर रवाना हुआ जिसे अगले 5 दिनों तक पर्वतों में रहना था परन्तु अचानक कुदरत के कहर ने इनके मंसूबों को जमींदोज कर दिया और भूकंप की त्रासदी में रत्नेश पाण्डेय समेत पूरा दल पर्वतों में कहीं फस गयाजिसकी जानकारी किसी को भी नहीं थी| जिसकी खबर लगने पर सतना में रत्नेश के घर में पूरा परिवार विक्षिप्त हालत में रहा|
बार बार विदेश मंत्रालय,भारतीय दूतावास,नेपाल दूतावास,भूकंप हेल्पलाइन, कंपनी कार्यालय इत्यादि में संपर्क करने की बहुत कोशिश की परन्तु कोई खबर नहीं मिल सकी , तब प्रशासनिक मदद हेतु आज सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को एक इ-मेल भी लिखा गया , जिस पर जवाब आया कि हम पूरी कोशिश कर रहे हैं| तभी दोपहर को करीब 12 बजे रत्नेश पाण्डेय ने अपने घर फोन कर अपने कुशलता की जानकारी दी और बताया कि सरकार के द्वारा भेजे गए हेलिकॉप्टर ने हमारी जान बचायी ; तब जाकर परिवार वालों की जान में जान आई | रत्नेश पाण्डेय ने बताया कि मुझे दो बार मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आ चूका है एवं उन्होंने कुशलता पूँछी है | यह जानकर पिता जयचंद पाण्डेय ने मुख्यमत्री शिवराज सिंह जी एवं मध्यप्रदेश शासन को धन्यवाद देते हुए बचाव दल की तारीफ की और कहा कि पिछले दो दिनों से प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया का जो सहयोग मिला है मैं उसका बहुत आभारी हूँ | इसके साथ ही उन्होंने बचाव कार्य के लिए हेलिकॉप्टर भेजे जाने पर नेपाल सरकार भी बहुत-बहुत धन्यवाद दिया है | उन्होंने अपने सभी शुभचिंतकों को भी धन्यवाद ज्ञापित किया है जिन्होंने मुश्किल की इस घडी में परिवार के साथ रहे और भगवान से उनके पुत्र के लिए प्रार्थना की |
भवदीय
जयचंद पाण्डेय (पिता) - 9713214203