पं. सोमेश्वर जोशी। मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिष विद्वान् पं. सोमेश्वर जोशी ने हनुमान जयंती के विशेष अवसर पर जानकारी देते हुए बताया की इस वर्ष हनुमान जयंती 04 अप्रैल को मनाई जाएगी। हिन्दू मान्यतानुसार रुद्रावतार भगवान हनुमान माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र हैं। लोग चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही हनुमान जयंती के रूप में मानते हैं।
हनुमान जयंती केवल मंदिर जा कर पूजा करने के लिए नहीं अथवा मानाने के लिए ही नहीं वरन हनुमान जयंती का उद्देश्य तो हनुमान के चरित्र से हनुमान के महान कार्यो को जीवन में लाना, हरसाल हनुमान की 1 अच्छाई को अपने हृदय में जन्म देना और उसे बढ़ाना हे और हनुमत तत्व को समझना हे| अर्थात पवन पुत्र की पूजा तो करे ही पर उसके साथ वायु को भी स्वछ बनाये रखना भी हनुमान की श्रेष्ठ पूजा है।
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहम
दनुजबन कृशानुं ज्ञानिनाम अग्रगण्यम
सकल गुण निधानं वानराणामधीशं
रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि
हनुमान की कुछ विशेषता
1) हनुमान को शिवजी का ग्यारहवां अवतार माना जाता है।
2) हनुमान चिरंजीवी हे वे अभी भी पृथ्वी पर हैं।
3) हनुमान राम के इतने अनन्य सेवक हे की राम अपने भक्तो से पहले हनुमान भक्तो की मनोकामना पूरी करते हैं| यही कारण हे की राम से ज्यादा हनुमान के मंदिर हैं और पूजा भी राम से ज्यदा हनुमान की होती हे|
4) हनुमान की पूजा से शिव और विष्णु की पूजा अनायास ही हो जाती है|
5) हनुमान को सभी देवताओ का वरदान है जो उनकी पूजा करेगा वो उन्हें नहीं परेशान करेंगे अर्थात विशेष रूप से माँ सीता-दुर्गा,सूर्य,मंगल,शनि, वायु,वरुण, अग्नि आदि|
6) दोष निवारण में विशेष: रक्षा,ग्रह पीड़ा, संकट,उधार,शत्रु, ऋण, अष्ट सिद्दी नव निधि|
7) हनुमान श्रेष्ठतम गुरु हे, महावीर हे|
8) यदि हनुमान को प्रसन करना हे तो राम की स्तुति कीजिये यदि राम को जल्दी प्रसन्न करना हे तो हनुमान की स्तुति कीजिये
हनुमान जी की पूजा :
हनुमान जयंती के दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में ब्रहमचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमान जी की पूजा में चन्दन, केसरी, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी रखने की परंपरा है। हनुमान को चोला चढ़ाना सभी समस्याओ का श्रेष्ठ्तम उपाय हे| इस मंत्र को पढ़ते हुए पवनपुत्र हनुमानजी का आवाहन करना चाहिए-
श्रीरामचरणाम्भोज-युगल-स्थिरमानसम् |
आवाहयामि वरदं हनुमन्तमभीष्टदम् ||
कई वर्षो बाद बना हनुमान जयंती को चन्द्रग्रहण!
मालवा के प्रसद्ध ज्योतिष विद्वान् पं. सोमेश्वर जोशी इस विशेष अवसर पर जानकारी देते हुए बताया की ग्रहण का विशेष महत्व तांत्रिक साधना में होता हे कई ऐसे मंत्र हे जो केवल इसी समय सिद्द हो सकते हे और इस वर्ष 4 अप्रैल चैत्र शुक्ल पूर्णिमा, शनिवार को हनुमान जयंती के दिन ग्रस्तोदय चन्द्रग्रहण होने से ग्रहण बहुत अच्छा भी हे और थोड़ा ख़राब भी ग्रहण के पश्चात ही हनुमान जयंती के कार्यक्रम होंगे। सूतक प्रातः 4.45 से प्रारंभ होगा। ग्रहण समय दोपहर 3.45 से प्रारंभ होकर सायं 7.19 पर समाप्त होगा। यह ग्रहण हस्त नक्षत्र एवं कन्या राशि में होगा अतः हस्त नक्षत्र एवं कन्या राशि को कष्टप्रद है।
- मेष- आर्थिक कष्ट, मानसिक परेशानी, शत्रु कष्ट
- वृषभ- शिष्य एवं संतान की चिंता
- मिथुन- जमीन, मकान, वाहन प्राप्ति, धन खर्च
- कर्क- भाई-बहन से विवाद, व्यापार वृद्धि
- सिंह- परिवार में क्लेश, चोरी का भय, धनलाभ
- कन्या- दुर्घटना, स्वास्थ्य हानि, कष्ट
- तुला- जीवनसाथी की चिंता, सामान्य
- वृश्चिक- प्रगति में अवरोध, धन की चिंता
- धनु- कार्यभार, नौकरी छूटने का भय, नवीन कार्य के योग
- मकर- धार्मिक यात्रा, धनलाभ
- कुंभ- दुर्घटना का भय, पुराने शत्रु से परेशानी
- मीन- पत्नी से विवाद, साझेदारी में नुकसान होगा।
सर्व सिद्धिदायक हनुमान मंत्र:
आज की भागदौड़ भरे जीवन में संपूर्णता और प्रभुभक्ति का आनंद लेने के लिए श्री वैसे तो सबसे बड़ा मन्त्र हनुमान चालीसा और बजरंग बाण हे पर आज इस विशेष अवसर के लिए हनुमान सर्व सिद्धिदायक मंत्र का जाप करें।
“ॐ नमो हनुमते सर्वग्रहान् भूत भविष्यत्-वर्तमानान् दूरस्थ समीपस्यान् छिंधि छिंधि भिंधि भिंधि
सर्वकाल दुष्ट बुद्धानुच्चाट्योच्चाट्य परबलान् क्षोभय क्षोभय मम सर्वकार्याणि साधय साधय।
ॐ नमो हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं फट् । देहि ॐ शिव सिद्धि ॐ । ह्रां ॐ ह्रीं ॐ ह्रूं ॐ ह्रः स्वाहा।”
इस मंत्र से समस्त प्रकार के कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। यदि मन्त्र सिद्ध करना हो तो हनुमानजी के मन्दिर में जाकर हनुमान जी की पंचोपचार पूजा करें और शुद्ध घी का दीपक जलाएं, फूलमालाओं से सुशोभित कर, गुग्गल की धूप से सुवासित करें। भीगी हुई चने की दाल और गुड़ का प्रसाद लगाकर निम्न मंत्र का जप करें। प्रयोजन सिद्ध हेतु एक से कम माला या अधिक का जप प्रतिदिन 11 दिन तक करे| ग्यारहवें दिन पाठ के समापन पर दशमांश हवन करें, ब्राह्मण या उचित याचक को धन-धान्य दान करें और निर्मल ह्रदय से श्रीराम का नाम लेने से सभी प्रकार के सुख और संपूर्णता प्राप्त होती है। विशेष साधना एवं उपाय के लिए विधिवत योग्य विद्वानो से मार्दर्शन लेना चाहिए|
चिरंजीवी होने के लिए करे हनुमान उपासना:
प्राचीन हिंदू इतिहास और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, नियम या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियाँ इनमें विद्यमान है। हिंदू धर्म अनुसार इन्हें सात जीवित महामानव कहा जाता है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार इनका प्रात: स्मरण करने से मनुष्य दीर्घायु और निरोग रहता है।
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थात इन आठ लोगों (अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि) का स्मरण सुबह-सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है। प्राचीन मान्यताओं के आधार पर यदि कोई व्यक्ति हर रोज इन आठ अमर लोगों (अष्ट चिरंजीवी) के नाम भी लेता है तो उसकी उम्र लंबी होती है।