
इस संबंध में रेलवे बोर्ड की ओर से सभी जोनों के लिए बाकायदा सर्कुलर जारी किया गया है। सर्कुलर के मुताबिक, किसी भी ट्रेन में यदि स्लीपर कोच में यात्रियों की संख्या कम होगी तो जोन के महाप्रबंधक (जीएम) पूरी कोच या कोच की खाली बर्थो को सेकेंड क्लास अनरिजर्व कोच या बर्थो में परिवर्तित कर सकेंगे। इसका फैसला मांग और उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा। यह सुविधा केवल दिन में मिलेगी। रात के वक्त स्लीपर क्लास के कोच आरक्षित स्लीपर क्लास यात्रियों को ही आवंटित किए जाएंगे।
इतना ही नहीं, यदि महाप्रबंधक को लगता है कि किसी खास रूट के किसी खास हिस्से में किसी खास ट्रेन के स्लीपर क्लास के डिब्बे खाली रहते हैं तो उस हिस्से के स्टेशनों के बीच स्लीपर क्लास कोच या बर्थो को द्वितीय श्रेणी सामान्य यात्रियों को एलाट किया जा सकता है। इसका फैसला संबंधित जीएम कर सकते हैं। यह सुविधा भी दिन के वक्त ही मिलेगी। रात में स्लीपर क्लास की बर्थो पर आरक्षित स्लीपर क्लास के यात्रियों का ही हक होगा।
पहले यह सुविधा कुछ ट्रेनों में ही उपलब्ध थी और इसके लिए रेलवे बोर्ड से इजाजत लेनी पड़ती थी परंतु अब जोन के महाप्रबंधक अपने स्तर पर खुद फैसला ले सकेंगे। रेलवे बोर्ड से पूछना जरूरी नहीं होगा। सर्कुलर में ताकीद की गई है कि महाप्रबंधकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस नई व्यवस्था से पहले के मुकाबले ज्यादा राजस्व प्राप्त हो। इसके लिए मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों (सीसीएम) को हर महीने बुकिंग और आमदनी का ब्यौरा रेलवे बोर्ड को भेजना होगा। यही नहीं, यदि आगे चलकर स्लीपर क्लास में आरक्षण की मांग बढ़ती है तो उन कोच या बर्थो को पुन: आरक्षित स्लीपर क्लास के यात्रियों को बहाल करना होगा।