ग्वालियर। विकास और लोगों की भलाई की योजनाएं राजनीति के चलते कैसे दम तोड़ती है, इसका अंदाजा शिवपुरी के लिए प्रस्तावित मेडिकल कालेज से लगाया जा सकता है। पूर्व मंत्री और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि राज्य सरकार से एमओयू साइन करके केन्द्र सरकार को भेजने के लिए कह रहे है, लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक जिन्होंने घोषणा की, वे ही मेडिकल कालेज बारे में जानकारी दे सकते है।
पिछले वर्ष जब केन्द्र में यूपीए सरकार थी तो उस समय यहां के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवपुरी के लिए मेडिकल कालेज प्रस्तावित कराया। जिला प्रशासन ने भी पहल करते हुए इस मेडिकल कालेज के लिए 12 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध करा दी। उसके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद शिवपुरी आए और उन्होंने 190 करोड़ रुपए से मेडिकल कालेज बनाए जाने की घोषणा की।
इसके बाद राज्य सरकार को एक सहमति पत्र बनाकर केन्द्र के स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजना था, लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। अब तो प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा यहां तक कहने लगे है कि शिवपुरी में मेडिकल कालेज खोले जाने की बात मैने तो कभी नहीं कही। इस बारे में तो वे ही, यानि सिंधिया की जानकारी दे सकते है, क्योंकि घोषणा उन्होंने ही की थी।
वैसे सिंधिया के साथ क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि राज्य सरकार के सामने इस मुद्दे को रख चुके है, लेकिन कोई पहल होती नहीं दिखाई दे रही है। अब सवाल यही उठ रहे है कि यदि राज्य सरकार को इस दिशा में आगे नहीं बढऩा था तो जमीन देने की पहल क्यों की गई। यही नहीं राज्य सरकार ने तो मेडिकल कालेज बनाने के लिए ग्वालियर स्थित मेडिकल कालेज के एक प्रोफसर को नोडल अफसर भी बना दिया, लेकिन अब एमओयू साइन करने से मुकर रही है।
