जलसत्याग्रह: प्रशासन ने लगाई यातायात पर पाबंदी

खंडवा। जलसत्याग्रह पर बैठे ग्रामीणों के गर्दन तक पानी पहुंच गया है परंतु प्रशासन उनसे बात करने को तैयार नहीं जबकि सत्याग्रह की ओर जाने वाले रास्तों को बंद कर दिया गया है ताकि सत्याग्रहियों को कोई समर्थन ना मिल पाए। सत्याग्रह स्थल के आसपास 8 किलोमीटर का एरिया प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है।

कल तक जिन खेतों में हरी-भरी फसलें लहलहाती थी आज उन खेतों में चारोंओर पानी ही पानी नजर आ रहा है। गांव की गलियों में बच्चों की किलकारी व युवाओं की टोली नजर आती थी, वहीं अब पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। यह सब नजारा समीप ग्राम घोघलगांव, एखंड, टोंकी, केलवा और कामनखेड़ा का है।

रविवार को ग्राम के सभी किसानों के खेत ओंकारेश्वर बांध को 191 मीटर तक भरने के बाद जलमग्न हो गए हैं। वहीं जल सत्याग्रह कर रहे लोगों की गर्दन तक बांध का पानी पहुंचा गया। लेकिन जल सत्याग्रही अपने हक के लिए डटे हुए हैं। रविवार जल सत्याग्रहियों का दूसरा दिन था, बावजूद इसके कोई भी प्रशासनिक अमला इनकी सुध लेने तो दूर देखने तक नहीं पहुंचा।

अपने हक के लिए पानी में गुजार रहे रात
जहां ग्रामीण कल तक अपने घरों में चैन की नींद सोते थे वहीं आज अपने हक के लिए पानी व सड़कों पर रात गुजार रहे है। यह खबर गांव में फैली और इसके बाद किसान अपने हक के लिए पानी में उतरने के लिए मजबूर हो गए। ग्राम के लोभीलाल पटेल, अनिता पटेल, सुरेश पटेल, प्रवीण राठौर, तिलोक पटेल ने बताया कि प्रशासन हम डूब प्रभावितों को पहले जमीन के बदले जमीन मुहैया कराएं उसके बाद ही हम गांव छोड़ेंगे। अन्यथा हमारा आंदोलन निरंतर जारी रहेगा।

अंधेरे में डूबे पांच गांव
शनिवार से आंदोलन पर बैठे सत्याग्रहियों ने पूरी रात अंधेरे में गुजारी। प्रशासन ने तीन दिन पहले ही पांच गांवों की बिजली भी काट दी। जिसके चलते ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है। लोगों को गेहूं पिसाने के लिए करीब 15 किमी जाना पड़ रहा है। वहीं बिजली बंद होने के बाद पानी की सप्लाई भी बंद हो गई। जिसके चलते ग्रामीणों को हैंडपंप का सहारा लेना पड़ रहा है। वहीं मोबाइल भी चर्चा नहीं हो रहे हैं।

ग्रामीण भी दे रहे समर्थन
शनिवार से जल सत्याग्रह पर बैठे करीब 10 महिलाएं व 20 लोगों ने पूरी रात पानी में गुजारी। वहीं कुछ के स्वास्थ पर भी असर पडऩे लगा है। रविवार को तेज बारिश के बाद भी सत्याग्रही पानी में ही डटे रहे। वहीं सैकड़ों ग्रामीण बाहर बैठकर समर्थन दे रहे हैं। सत्याग्रही पानी में ही खाना-पीना कर रहे हैं।

इन किसानों के खेतों में भर गया पानी
जगदीश तिरोले, रमेश तिरोले, वासुदेव तिरोले, दिनेश, भैय्यालाल तिरोले, राजाराम देवचंद्र, राम भारती, इंद्रर भारती, गेंद भारती, नारायण तिरोले, सदाशिव तिराल, नत्थू तिरोले, तिलोकचंद, वासूदेव, श्रवण पटेल सहित अन्य किसानों में रविवार को पानी भर गया। खेतों में रखा गेहूं का भूसा पानी में बह गया है।

8 किमी दूर से रख रहे नजर
डूब प्रभावितों के गांव की सीमा के बाहर प्रशासनिक अधिकारियों के प्रवेश निषेध के बोर्ड के बाद प्रशासनिक अधिकारी गांव से आठ किमी दूर हाथिया बाबा से सत्याग्रहियों पर नजर रख रहे है। यहां तहसीलदार से लेकर एसडीएम सहित अन्य अधिकारी व पुलिस बल तैनात है।

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