आदरणीय जगदीश शास्त्री,
आपके विचार सराहनीय संदर्भ में कि व्यापमं में घोटाला हुआ है किन्तु सिर्फ सरकारी स्कूलों में पढाने वाले अतिथि शिक्षकों को बोनस अंक और प्राइवेट स्कूलों में पढाने वाले शिक्षकों को नही, क्या यह न्यायसंगत है ? और भी नये फ्रेशर्स डिग्रीधारियों का क्या ? यह तोे दोहरा मापदंड है योग्यता का।
शिक्षा क्या यह संदेश देती है कि प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में भेद किया जाये और आप लोग शिक्षा का इतना महत्व समझते है तो बोनस अंक की प्राथमिकता का विरोध करें क्योंकि संविदा पा़त्रता भर्ती में महिला अभ्यर्थी भूतपूर्व सैनिक तथा हर संवर्ग का व्यक्ति परीक्षा देगा।
सभी वर्ग को संविदा शिक्षक भर्ती में समान पारदर्शिता का अनुभव हो यह हमारा प्रयास होना चाहिए। जहाॅ तक 15 अंक बोनस का प्रश्न है तो सभी से 15 अंकों का इंटरव्यू लें। प्रत्येक अंक अपने आप में एक अनुभव और योग्यता का मापदंड है। शिक्षाविदों से हमारा निवेदन है कि वे इस भर्ती में फाइनल प्रक्रिया को अपनाने से पूर्व एक बार फिर नियोजन प्रक्रिया में ध्यान दें ताकि बाद में किसी वर्ग को असमानता का बोध ना हो या फिर न्यायलयीन प्रक्रिया में भर्ती उलझें।
VIJAY KUMAR AHIRWAR
http.ahirwar@gmail.com
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