मप्र में पतझड़ का मौसम ही ड्रॉप हो गया

हरिओम गौड़/श्योपुर। बेमौसम और लगातार हो रही बारिश की वजह से इस बार पतझड़ का मौसम ही ड्रॉप हो गया। अमूमन हर साल मार्च-अप्रैल में पेड़ों के पत्ते झड़ जाते थे। पेड़ डालियों के कंकाल नजर आते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। पूरा जंगल हरियाली से ऐसे पटा है जैसे, पतझड़ नहीं बारिश का सीजन हो। इस बदलाव से मौसम से लेकर पेड़-पौधों के जानकार भी अचरज में हैं। विशेषज्ञ इस बदलाव को हरियाली, फसलों व फलों के उत्पादन को खतरा बता रहे हैं।

पतझड़ का सीजन हर साल बसंत पंचमी (मार्च महीने) से शुरू हो जाता है। यह अप्रैल में बैशाखी-मेष संक्रांति तक रहता है यानी अभी पतझड़ का पीक टाइम चल रहा है। इन दिनों पेड़ों के पत्ते पूरी तरह झड़कर जमीन पर होने चाहिए और डालियों पर नई-नई कोंपलें फूटती दिखनी चाहिए थीं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।

जो पत्ते सूखकर जमीन व सड़कों को ढंक देते हैं, वे पेड़ों पर पूरी तरह हरे-भरे नजर आ रहे हैं। श्योपुर चारों ओर से जंगल से घिरा है। हर साल मार्च-अप्रैल में जंगल सूखे पेड़ों में तब्दील हो जाता है। इस बार की स्थिति ठीक उलट है। मृत से नजर आने वाले जंगल में जहां तक नजर जाती है, भरपूर हरियाली दिख रही है।

जंगल से लेकर फसलों तक, सबको नुकसान
जीवाजी यूनिवर्सिटी में बॉटनी विभाग के एचओडी एवं वनस्पति विशेषज्ञ डॉ. एमके अग्रवाल के अनुसार बेमौसम बारिश और ज्यादा आर्द्रता बढ़ने से पतझड़ का मौसम गायब हो गया है। जलवायु का यह बदलाव पेड़-पौधों से लेकर खेती को नुकसान पहुंचाएगा।

फलों और फसलों के उत्पादन पर बुरा असर होगा। क्योंकि इस समय की हरियाली के कारण फफूंद जैसे बायरस पनपेंगे जो फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे और कई तरह के रोग खेती को घेरेंगे। दूसरा सबसे बुरा असर पेड़, पौधों के पुष्पन पर पड़ेगा यानी फूल समय पर नहीं आएंगे। इसके कारण या तो समय से पहले फल आ जाएंगे या फिर सीजन निकलने के बाद।

बीमारियां बढ़ेंगी
इस परिवर्तन का किसानों की जेब पर भी बोझ बढ़ेगा। क्योंकि इस समय की हरियाली आगामी फसलों में कई तरह के रोग फैलाएगी। फसलों को इन रोगों से बचाने के लिए किसानों को कीटनाशकों पर मोटा खर्च करना पड़ेगा। इतना ही नहीं इंसानों की सेहत पर भी असर पड़ने के पूरे आसार है। गर्मी के दिनों में भी सर्दी-जुकाम तो बढ़ेगा ही साथ ही मच्छर भी इस मौसम में ज्यादा पनपेंगे, जिससे मलेरिया-डेंगू जैसी बीमारियो का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा।

इनका कहना है
इस बार पतझड़ का मौसम नहीं आया है। मौसम के कारण पर्यावरण में ऐसा बदलाव पहले कभी नहीं देखा। चारों ओर पेड़ हरे-भरे दिख रहे हैं। यह बदलाव लगातार बारिश के कारण हुआ है।
एमएल उइके उद्यानिकी के विशेषज्ञ

इन दिनों में पुराने पत्ते झड़कर पेड़ों में नए पत्ते आते हैं। यह परिवर्तन पेड़ों के लिए जरूरी है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। यह फसलों व पेड़ों के लिए नुकसानदायक रहेगा।
डॉ. एमके अग्रवाल वनस्पति विशेषज्ञ, ग्वालियर

आमतौर पर एक महीने में अधिकतम चार पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होते हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से इनकी संख्या आठ से नौ हो रही है। अरब एवं बंगाल की खाड़ी से भी नमी की लहरे ज्यादा आ रही है। यहीं कारण है कि बेमौसम बारिश हो रही है। उम्मीद है अगले महीने से स्थिति सामान्य हो जाएगी।
डीपी दुबे मौसम विशेषज्ञ

  • पत्रकार श्री हरिओम गौड़ श्योपुर में नईदुनिया को सेवाएं देते हैं। 

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