प्राइवेट सेक्टर के 42% कर्मचारी डिप्रेशन के शिकार: WHO की रिपोर्ट

नई दिल्ली। काम का अत्याधिक दबाव, कार्यस्थल पर असाधारण वातावरण और टारगेट से जुड़े वेतन भत्तों के कारण कार्पोरेट के 42.5 फीसदी कर्मचारी अवसाद के शिकार हैं। इनमें दिल्ली प्रथम स्थान पर है और बेंगलुरू को दूसरे तथा मुंबई को तीसरे स्थान पर रखा गया है। 


विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल) के अवसर पर जारी एक अध्ययन में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के कर्मचारी सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के मुकाबले ज्यादा मानसिक रूप से परेशान होते हैं और अपेक्षाकृत ज्यादा मानसिक बीमारियों से पीडि़त होते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि जीवन शैली से संबंधित बीमारियों से कार्पोरेट क्षेत्र के कर्मचारी सर्वाधिक पीडि़त होते हैं। इन कर्मचारियों में मानसिक बीमारियों में पिछले सात-आठ सालों में 45 से 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। 

अध्ययन के अनुसार कार्पोरेट कर्मचारी सबसे ज्यादा मानसिक अवसाद से पीडि़त हैं। इनका प्रतिशत 42.5 है। दूसरे स्थान 23 प्रतिशत कर्मचारी मोटापे से परेशान हैंै। बहुत कम कर्मचारी व्यायाम या नियमित समय पर खानपान का समय निकाल पाते हैं। उच्च रक्तचाप से नौ प्रतिशत और मधुमेह से आठ प्रतिशत कर्मचारी पीडि़त हैं। 

इसके अलावा कार्पोरेट कर्मचारी स्पांडिलाईसिस, हृदय संबंधी बीमारी, सरवाईकल, अस्थमा, स्लिप डिस्क और गठिया से पीडि़त हैं। कार्पोरेट कर्मचारियों को अपनी नौकरी बनाए रखने के लिए कंपनी के भीतर और बाहर कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर दिखाई देता है। लगभग 38.5 प्रतिशत कार्पोरेट कर्मचारी छह घंटे से भी कम समय की नींद लेते हैं। इसके नींद के अभाव में वे अवसाद, उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीडि़त हो जाते हैं। 

लगभग 57 प्रतिशत कर्मचारी बिल्कुल व्यायाम या कसरत नहीं करते हैं, हालांकि 23 प्रतिशत सप्ताह में एक घंटे का समय व्यायाम के लिए निकाल लेते हैं। सरकारी कर्मचारी प्रति सप्ताह आठ घंटे से ज्यादा समय तक व्यायाम या कसरत करते हैं। इससे वे कार्पोरेट क्षेत्र के कर्मचारियों के मुकाबले ज्यादा स्वास्थ्य रहते हैं। जानकारों का कहना है कि इन दिनों कार्पोरेट कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ गया है। 

आत्मविश्वास की कमी, अवास्तविक आशाएं और पोषक तत्वों की कमी वाला भोजन अवसाद और अन्य बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा कार्यस्थल के जैविक, मानसिक और पर्यावरणीय माहौल का भी कर्मचारियों पर असर पड़ता है। उद्योग संगठन भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य मंडल के इस अध्ययन में 150 कंपनियों के 1250 कार्पोरेट कर्मचारियों को शामिल किया गया। यह अध्ययन मीडिया, दूरसंचार, केपीओ, बीपीओ और मार्केटिंग क्षेत्र के जैसे 18 क्षेत्रों की कंपनियों को शामिल किया गया। अध्ययन दिल्ली एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरू, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, चंडीगढ़ और देहरादून आदि शहरों में किया गया है। प्रत्येक शहरों से लगभग 200 कर्मचारियों का चयन किया गया है। 

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