भोपाल। बिजली कंपनी के कर्मचारियों की आश्रित महिलाएं सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिलने 340 किलोमीटर का सफर पैदल तय करके भोपाल पहुंची, यह सफर उन्होंने 21 दिन में पूरा किया। वो 3 दिनों से इंतजार कर रहीं हैं परंतु सीएम अभी तक उनसे मिलने नहीं आए।
महिलाओं से ज्ञापन लेने पहुंचे एसडीएम ने मुख्यमंत्री के नहीं मिल पाने की खबर सुनाई, तो महिलाओं ने उन्हें ज्ञापन देने से इंकार कर दिया। जब एसडीएम ने गुरुवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात कराने का भरोसा दिलाया। तब महिलाओं से दशहरा मैदान छोड़ा।
'मप्र विद्युत मंडल अनुकंपा आश्रित संघर्ष दल' के बैनर तले जबलपुर से 25 मार्च को चलीं ये महिलाएं 20 दिन में पैदल सफर कर मंगलवार को भोपाल पहुंची थीं, लेकिन मंगलवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात संभव नहीं हो सकी। इसलिए महिलाओं ने हबीबगंज स्थित रैन बसेरा में रात गुजारी। बुधवार को महिलाओं ने यहां से रैली निकाली और टीटीनगर दशहरा मैदान पहुंचीं। यहां धरने पर बैठीं महिलाओं से मिलने पहुंचे टीटीनगर एसडीएम ने मुख्यमंत्री से मुलाकात में दिक्कत बताई, तो महिलाएं उन्हें ज्ञापन देने को तैयार नहीं हुईं। उनका कहना था कि वे मुख्यमंत्री को ही ज्ञापन सौंपेंगी। महिलाएं शाम तक दशहरा मैदान में डेरा डाले रहीं। आखिर एसडीएम ने गुरुवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात कराने का भरोसा दिलाया, तो महिलाएं वापस रैन बसेरा जाने को तैयार हुईं।
25 माह से आंदोलन जारी
ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में पति की मौत के बाद बेसहारा हुई ये महिलाएं परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग कर रही हैं। इस मांग को लेकर संघर्ष दल ने 11 मार्च 2013 से आंदोलन शुरू किया है। जबलपुर में शक्ति भवन के सामने धरना देने के बाद निराश्रितों ने सीधे मुख्यमंत्री से मिलने और उन्हें अपनी व्यथा सुनाने का निर्णय लिया है।
21 दिन, रोज छह घंटे चले पैदल
निराश्रितों की यह टोली रोज छह घंटे पैदल चलकर 21 दिन में राजधानी पहुंची हैं। टोली में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इसलिए रास्तेभर उनकी सुरक्षा की चिंता पुरुष साथियों को करना पड़ी। वे रात-रातभर जागकर दल में शामिल महिलाओं की हिफाजत करते थे। दल के सदस्य सुबह और शाम में चलते थे और रात किसी गांव में गुजारते थे।