ग्वालियर। सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से जुड़ी मप्र सरकार की रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट की फुल बैंच ने इस संबंध में राज्य सरकार को अपने 28 हजार दैनिक वेतन भोगियों को चार महीने में नियमित कर सभी सुविधाएं देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट के आदेश पर अमल के लिए राज्य सरकार के खजाने पर 800 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा । इससे पहले पीडब्ल्यूडी, पीएचई व जलसंसाधन विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी 2015 को मप्र हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में संबंधित दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण के साथ सारी सुविधाएं देने के निर्देश दिए थे।
जिम्मेदारी से नहीं बच सकती सरकार
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में भी 21 जनवरी 2015 को दैनिक वेतन कर्मचारियों को उनकी पात्रता की तारीख से नियमित वेतनमान और अन्य सुविधाएं देने का निर्देश दिया था। प्रदेश सरकार ने इसे रिव्यू पिटीशन में चुनौती देते हुए कहा कि इससे खजाने पर 800 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
लेकिन कोर्ट ने सरकार का यह तर्क खारिज कर दिया। कोर्ट ने पूछा कि जब किसी भी कर्मचारी को 10 साल में नियमित करने का नियम है तो उसका पालन क्यों नहीं किया गया। सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है।
फुल बैंच में हुई सुनवाई
राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को फुल बैंच के समक्ष चुनौती दी। चीफ जस्टिस एचएल दत्तू, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अरुण मिश्रा की फुल बैंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 9 अप्रैल को इस रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया।
अब कोई रास्ता नहीं बचा है
याचिकाकर्ता और राज्य निर्माण विभाग कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शंकर सिंह सेंगर ने सुप्रीम कोर्ट के रिव्यू याचिका खारिज करने पर कहा कि अब राज्य शासन के सामने 4 महीने में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को वेतनमान व सुविधाएं देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
22 हजार हो जाएगा वेतन
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को अभी लगभग 8 हजार वेतन मिल रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बढ़कर करीब 22 हजार रुपए हो जाएगा।
सरकार का मत
वित्त विभाग के अपर मुख्यसचिव अजय नाथ ने कहा कि फिलहाल कोर्ट के आदेश की प्रति नहीं मिली है लेकिन जो सुना है उसके मुताबिक अभी यह फैसला सिर्फ याचिकाकर्ताओं पर ही लागू होगा। उम्मीद है कि सरकार पर एकसाथ वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।
याचिकाकर्ता के वकील वीपी सिंह के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का लाभ शासन और श्रम न्यायालय द्वारा पात्र दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को ही मिलेगा। संभव है कि शासन इस आदेश की अपने हिसाब से समीक्षा करे। इधर सुप्रीम कोर्ट में सरकार के वकील सीडी सिंह ने रिव्यू पिटीशन खारिज होने की पुष्टि की है।
