मप्र में 14 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद, 25 हजार सीटें कम

भोपाल। प्रदेश के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की 25 हजार सीटों के लिए नए शैक्षणिक सत्र में काउंसलिंग नहीं होगी। इसकी वजह इन सीटों पर एडमिशन नहीं होना है। इस साल इंजीनियरिंग की एक लाख सीटों में से 75 हजार सीटों पर एडमिशन के लिए ही काउंसलिंग होगी। यह खुलासा प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की संस्था एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल प्राइवेट इंस्टीट्यूशन (एटीपीआई) के अध्यक्ष जय नारायण चौकसे ने सोमवार को संवाददाताओं से चर्चा में किया।

श्री चौकसे ने बताया कि 17 हजार सीटों पर काउंसलिंग नहीं कराने के लिए प्राइवेट कॉलेजों ने तकनीकी शिक्षा विभाग को लिखकर दिया है। इसकी सूचना राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) को भी दे दी है। 14 प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज नए शैक्षणिक सत्र से बंद हो जाएंगे। इसकी वजह इनमें एडमिशन नहीं होना है। हालांकि उन्होंने इन कॉलेजों के नामों का खुलासा करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने बताया कि इन कॉलेजों में विभिन्न ब्रांच की करीब 8 हजार सीटें थीं। कॉलेज बंद होने से प्रदेश में इंजीनयरिंग की सीटें भी कम हो जाएंगी। इस हिसाब से इस बार 25 हजार सीटों को काउंसलिंग में शामिल नहीं किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि एआईसीटीई को सीटें सरेंडर करने के लिखकर नहीं दिया गया है। इसकी वजह है कि सीटें सरेंडर करने के लिए भी फीस के तौर पर फीस जमा करना होता है। साथ ही भविष्य में यदि दोबारा इन सीटों पर एडमिशन लेना होगा, तो एआईसीटीई में फीस भी दोबारा जमा करनी होगी।

मैकेनिकल और सिविल की डिमांड
चौकसे ने बताया कि पिछले दो वर्षों में मैकेनिकल और सिविल ब्रांच की डिमांड बढ़ी है। छात्र इन ब्रांच को चुनने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। जबकि इलेक्ट्रिकल, आईटी और ईसी की ब्रांच में कम संख्या में एडमिशन हो रहे हैं। लिहाजा जिन सीटों को सरेंडर किया गया है, उनमें इन्हीं ब्रांच की सीटें हैं।

फीस ले रहे, नहीं हो रहा डेवलपमेंट
एटीपीआई के केसी जैन ने बताया कि आरजीपीवी डेवलपमेंट फीस तो ले रही है, लेकिन छात्रों के विकास के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है। कॉलेजों के निरीक्षण भी आरजीपीवी तब कराती है जब कॉलेज बंद होते हैं। ऐसे में निरीक्षण की रिपोर्ट आ जाती है। इसलिए एडमिशन की स्थिति बेहद चिंताजनक होने के बावजूद संबद्धता फीस में बढ़ोतरी कर दी गई है। जैन के मुताबिक आरजीपीवी से मांग की गई है कि बीई के चार साल के कोर्स में थ्योरी साढ़े तीन साल की हो जबकि छह महीने की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए इंडस्ट्री में भेजा जाए। इसके अलावा आरजीपीवी को रोजगार देने के लिए कॉमन कैंपस आयोजित करने चाहिए।

गुणवत्ता बढ़ाने पर भी जोर
एटीपीआई के सचिव बीएस यादव ने बताया कि कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके लिए तकनीकी एक्सपर्ट के लेक्चर भी कराए जाएंगे। इसकी शुरुआत आईआईटी कानपुर के रिटायर्ड प्रोफेसर संजय ढांडे और ट्रिपल आईटीएम ग्वालियर के एचडी देशमुख के लेक्चर से की जा रही है। इसी तरह प्रदेश के बाहरी राज्यों के छात्रों को प्रदेश में लाने के लिए एटीपीआई अभियान भी चलाएगी।

निगम द्वारा टैक्स वसूलना गलत
यादव के मुताबिक नगर निगम भी किसी तरह से इंजीनियरिंग कॉलेजों से टैक्स वसूलना चाह रहा है। पहले प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने की योजना बनाई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। अब निगम प्रॉपर्टी टैक्स के अस्सी फीसदी टैक्स के तौर पर अन्य टैक्स लागू करने जा रहा है। ऐसे में जब नगर निगम कोई सुविधा नहीं देता है, तो फिर टैक्स वसूलना भी गलत है।

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