इंदौर। मप्र शासन कर्मचारियों से एक सप्ताह में 72 घंटे काम कराना चाहती है। इस संदर्भ में उसने एक प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार के पास भेजा परंतु केन्द्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए वापस लौटा दिया है।
मप्र श्रम विभाग ने 17 श्रम कानूनों में 6 माह पहले लगभग 35 बदलाव कर उन्हें मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा था। इनमें से कुछ प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने नामंजूर कर उन्हें प्रदेश सरकार को वापस भेज दिया है।
श्रम विभाग के अधिकारियों के अनुसार फैक्टरी एक्ट 1948 के तहत कारोबारी घंटों को बढ़ाने की बात कही गई थी। इन बदलाव में प्रति सप्ताह 60 घंटे के काम के बजाय प्रति सप्ताह 75 घंटे काम का नियम लागू किया जाता लेकिन इसे अनुमति नहीं मिली है। सूक्ष्म उद्योगों (25 लाख रुपए से कम टर्नओवर) में जांच आदि के लिए श्रमायुक्त की अनुमति को अनिवार्य करने के प्रस्ताव को भी मंजूर नहीं किया गया है। बालश्रम कराने वाले नियोक्ताओं पर 25 हजार रुपए जुर्माने पर भी केंद्र ने अपत्ति ली है।
अधिकारियों के अनुसार फैक्टरी एक्ट के तहत किसी अपराध में न्यायालय में मुकदमा दायर करने से पहले श्रम आयुक्त की अनुमति लेने का नियम मप्र सरकार चाहती थी लेकिन इसे भी नामंजूर कर दिया गया है। जिन प्रस्तावों को मंजूरी नहीं मिली है उन्हें संशोधित कर पुनः केंद्र सरकार के पास जल्द भेजा जाएगा।
300 कर्मचारी होंगे परमारेंट
प्रदेश के श्रम विभाग द्वारा भेजे गए छंटनी से संबंधित प्रस्ताव पर केंद्रीय श्रम विभाग ने हरी झंडी दे दी है। नए प्रस्ताव के अनुसार 300 से अधिक कर्मचारी संख्या वाली कंपनियों को कर्मचारियों की छंटनी के लिए विभाग की अनुमति नहीं लेना होगी। ऐसी कंपनियां कारोबार कभी भी बंद करने के लिए स्वतंत्र होंगीं। वर्तमान में सौ से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को छंटनी के लिए श्रम विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य था।
अधिकारियों के मुताबिक यह सोचना कि इस कदम से कर्मचारियों का अहित होगा यह गलत है। अब तक सौ का नियम था तो कंपनी मालिक ऑन रिकॉर्ड कर्मचारियों की संख्या सौ से कम ही दर्शाते थे और अन्य कर्मचारियों को अस्थायी या संविदा आधार पर रखते थे। इस कारण अस्थायीं कर्मचारियों को वेतन के साथ ही अन्य सुविधाएं काफी कम मिलती थी, जबकि नए नियमों के बाद कम से कम 300 कर्मचारियों का भविष्य तो सुरक्षित हो सकेगा।
पुनः भेजेंगे
प्रदेश के लेबर लॉ में बदलाव का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। केंद्र द्वारा अधिकांश बदलाव को मंजूर किया गया है। जिन प्रस्तावों को मंजूर नहीं किया गया है उन्हें संशोधित कर पुनः केंद्र भेजा जाएगा।
एमके वार्ष्णेय
प्रमुख सचिव, श्रम विभाग, मप्र शासन