भोपाल। भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी को लेकर सुर्खियों में आ चुके व्यापमं में घोटाले का एक मामला पिछले सात सालों से जांच के नाम पर अटका है। इस मामले में अधिकारी कुछ बोलने का तैयार हैं, जबकि 2009 में तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनिस ने विधानसभा में जांचकर व्यापमं के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
तब से ये मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सांठ-गांठ कर इस मामले को रफा दफा कर दिया। यदि इस मामले की जांच होती तो इसके साथ व्यापमं के कई बड़े मामले उजागर होने से सरकार के सामने नया संकट खड़ा हो सकता है।
ये है मामला
2004 में व्यापमं के अधिकारियों ने संचालनालय प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा में प्रशिक्षण अधिकारी एवं सहायक वर्ग 3 सहित अन्य पदों के लिए पैसे लेकर इंटरव्यू कॉल भेजे थे। जांच में दोषी अफसरों के विरूद्ध कार्रवाई करने का आश्वासन देने के बाद भी व्यापमं के तत्कालीन भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई है। सरकारी रिकॉर्ड में पुख्ता सबूत होने के बाद भी इसे एसटीएफ ने जांच में नहीं लिया।
क्या कहा था मंत्री ने
तत्कालीन मंत्री चिटनीस ने विधानसभा में कहा था कि साल 2004 में प्रशिक्षण अधिकारी और सहायक वर्ग 3 की भर्ती में सिफारिश वाले उम्मीदवारों को बुलाने, उनसे एक-एक लाख स्र्पए लेकर इंटरव्यू का कॉल लेटर भेजने, उत्तर पुस्तिका को शीट पेंसिल से भरवाकर उसे रबर से मिटा कर सही करने और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं में पदस्थ प्रशिक्षण अधिकारियों के पुत्र एवं रिश्तेदारों को ही इंटरव्यू में बुलाने की शिकायत मिली थी। इस मामले में तत्कालीन नियंत्रक डॉ. एके श्रीवास्तव, तत्कालीन उप नियंत्रक एनएम कुरैशी, तत्कालीन सहायक नियंत्रक डॉ. श्रीमती रंजना त्रिवेदी के विरूद्ध जांच की कार्रवाई की जा रही है।
विश्वकर्मा पर भी आरोप
व्यापमं के माध्यम से हुई प्रशिक्षण अधिकारियों के भर्ती घोटाले में तत्कालीन संयुक्त संचालक बीआर विश्वकर्मा पर भी आरोप लगे थे। उस समय विश्वकर्मा स्थापना का काम देख रहे थे। इसके बाद उन्होंने अपनी मंत्रालय के अफसरों से सांठ-गांठ कर उप सचिव के पद पर पदस्थापना करवा ली। इस मामले में भी तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री चिटनीस ने विधानसभा में इस मामले की जांच का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।