इंदौर। शिक्षा विभाग में भारी विरोध के बावजूद लागू किए गए ई-अटेंडेंस के संदर्भ में आईआईएम ने सर्वे किया। सर्वे में पता चला कि जमीनी स्तर पर कई समस्याएं हैं और ई-अटेंडेंस लागू करने से पहले यूजर्स को अवेयर भी नहीं किया गया। वो एक अनजाने भूत से डरे हुए हैं और कुछ अतिरिक्त खर्चा भी हो रहा है।
स्टूडेट्स-मैडम ई-अटेंडेंस के बाद व्यवस्थाओं में कितना फर्क महसूस हो रहा है ?
टीचर-हम तो पहले भी समय पर आते थे, लेकिन अब ई अटेंडेंस का टेंशन बढ़ गया है। यदि सरकार एंड्रॉयड फोन और नेट पैक का खर्चा दे तो हमें राहत मिलेगी।
इस तरह के सवाल-जवाब सरकारी स्कूलों के शिक्षक और आईआईएम इंदौर के स्टूडेट्स के बीच हुए। बुधवार को ये स्टूडेंट्स शासकीय स्कूलों में ई-अटेंडेंस के हालात जानने पहुंचे थे। कमिश्नर संजय दुबे का ई-अटेंडेंस कितना सफल हो रहा है, इसके लिए स्टूडेट्स ने कमिश्नर के साथ मिलकर प्रश्नावली की और इंदौर के अलावा धार, उज्जैन और देवास के स्कूलों में सर्वे किया।
इसके तहत बुधवार को महू के हरनियाखेड़ी, किशनगंज, धारनाका, इंदौर के उत्कृष्ट स्कूल, कुलकर्णी भट्टा में स्टूडेंट्स और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दल पहुंचा। ज्यादातर शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस तनाव बढ़ाने वाला प्रयोग बताया। स्टूडेंट्स में रसिका, स्वाति, आकृति, अर्पिता सहित 10 सदस्य शामिल थे।
नेट बंद हो जाता है तो डर लगता है
शिक्षकों ने कहा कि जब इंटरनेट अचानक बंद हो जाता है तो हम डर जाते हैं कि अब कहीं अनुपस्थिति न लग जाए। स्टूडेंट ने उन्हें समझाया कि नेट भले ही बंद हो, लेकिन समय पर पंच होना जरूरी है। जब भी वाई फाई लोकेशन में जाएंगे तो अपने आप अटेंडेंस रिकॉर्ड हो जाएगी।
इस तरह के सवाल किए
ई-अटेंडेंस से शिक्षक समय पर स्कूल पहुंच रहे हैं या नहीं
पढ़ाई पर कितना प्रभाव पड़ रहा है
शिक्षक खुद के व्यवहार में कितना बदलाव महसूस कर रहे हैं
बच्चों की उपस्थिति पर कितना फर्क पड़ा है
बयोमेट्रिक अच्छा है या ई-अटेंडेंस
रिपोर्ट कमिश्नर को सौंपेंगे
आईआईएम के स्टूडेंट चारों जिलों की सर्वे रिपोर्ट कमिश्नर को सौपेंगे। इनमे इंदौर-धार जिले में ई-अटेंडेंस है और देवास-उज्जैन में बायोमेट्रिक मशीन से अटेंडेंस लगती है। इसके आधार पर तय होगा कि कौन सी व्यवस्था ज्यादा अच्छी है। रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। इसके आधार पर इसे प्रदेश में लागू करने पर विचार होगा।
