अमेरिका में जॉब का आॅफर ठुकराया, सरपंची ज्वाइन कर ली

भोपाल। राजधानी के नूतन कॉलेज में पढ़ी-लिखी भक्ति शर्मा ने एक नई मिसाल कायम की है। महिला दिवस करीब है और उन्होंने महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। भक्ति शर्मा बिना किसी राजनीतिक दल का सहारा लिए भोपाल से करीब 40 किमी दूर बरखेड़ी अब्दुल्ला गांव की सरपंच बन गई हैं। यह कारनामा उन्होंने महज 25 साल की उम्र में किया है।

अमेरिका में नौकरी के थे कई ऑफर
भक्ति शर्मा ने नूतन कॉलेज में पॉलीटिकल साइंस से एमए किया है। माना जा रहा है कि भक्ति सबसे कम उम्र की पढ़ी-लिखी महिला सरपंच है। इसके बाद वे अपने परिवार के सदस्यों के पास अमेरिका चली गईं। भक्ति के चाचा अमेरिका के टेक्सॉस में रहते हैं। उनके परिवार वालों ने भक्ति का रिज्यूम कई कंपनियों को दिया, नौकरी के ऑफर भी मिले लेकिन भक्ति ने अमेरिका में नौकरी करने से इंकार कर दिया। वे वापस भारत लौट आईं।

ग्राउंड लेवल पर कुछ सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहती हूं
भक्ति शर्मा बताती हैं, 'अमेरिका में नौकरी करने का मन नहीं था। मेरा परिवार भोपाल और गांव में समाजसेवा से जुड़ा रहा है इसलिए मुझमें भी ऐसा ही कुछ करने की ललक थी। मैं ग्राउंड लेवल पर कुछ सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहती थी। पहले सोचा की संयुक्त राष्ट्र में सेवाएं दूं लेकिन वहां मेरी उम्र आड़े आ गई। फिर किसी एनजीओ के साथ जुड़ने की योजना चल ही रही थी कि प्रदेश में सरपंच के चुनाव आ गए।'

घर वाले तुरंत तैयार हो गए
भक्ति बताती हैं, 'नंवबर-दिसंबर में मुझे पता चला कि सरपंच के चुनाव होने वाले हैं और मेरे गांव में सामान्य महिला के लिए सीट आरक्षित हुई है। तो मैं खुद पापा के पास गई और अपने गांव से सरपंच का चुनाव लड़ने की अनुमति मांगी। घर वाले तुरंत तैयार हो गए और फिर हम अपने गांव पहुंचे। गांव वालों से बातचीत के बाद फैसला हो गया कि चुनाव लड़ना है। पूरी ईमानदारी के साथ चुनाव लड़ा और 276 वोट से जीतकर सरपंच बन गई।'

कोई वादे नहीं किए, सिर्फ समस्याओं को समझा
भक्ति बताती हैं, 'मैंने चुनाव प्रचार के दौरान क्षेत्र की जनता से कोई वादे नहीं किए लेकिन उनसे खूब बातचीत की और बुनियादी समस्याओं को समझा। अब इन्हें दूर करने की कोशिश करुंगी। गांव को बेहतर बनाने के लिए राजस्थान के एक गांव की सरपंच छवि राजावत से भी पॉलीसी के बारे में बातचीत करुंगी। फिलहाल अपना पूरा ध्यान क्षेत्र के लोगों के साथ मिलकर स्वच्छता, शिक्षा और आधारभूत ढांचे को बेहतर करने पर लगा रही हूं।'

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