IAS डॉ. मसूद अख्तर को कोर्ट का कारण बनाओ नोटिस

छतरपुर। न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी प्रदीप दुबे की अदालत ने कलेक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कलेक्टर द्वारा 7 लोगों के खिलाफ गलत आधारों पर मामला अदालत में पेश किया था। अदालत ने सातों आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि 4 सितम्बर 2013 को दण्ड प्रक्रिया की धारा 144 के तहत कलेक्टर के द्वारा आदेश दिया गया था। इस आदेश के तहत विधानसभा निर्वाचन 2013 की घोषणा होने के फलस्वरूप स्वतंत्र और शांतिपूर्ण ढंग से अस्त-शस्त्र आदि घातक हथियार और विस्फोटक सामग्री लेकर सार्वजनिक स्थानों पर सभा आदि पर चलाने पर रोक लगाई गई थी। साथ ही मतदान केंद्र एवं मतगणना स्थल, तहसील ब्लाक के बाहर भीड़ को एकत्रित करने एवं नारेबाजी करने की रोक थी।

कलेक्टर के इस आदेश के बाद एक नवम्बर 2013 को थाना महाराजपुर को सूचना मिली कि महाराजपुर विधानसभा के विधायक प्रत्याशी मानवेंद्र सिंह के नाम की घोषणा होने पर असंतुष्ट लोगों ने मानवेंद्र सिंह का पुतला आम रोड खंदिया मुहल्ला महाराजपुर में जलाते हुए मुर्दाबाद के नारे लगाए। थाना प्रभारी डीके सिंह ने सूचना की तस्दीक करते हुए पाया कि छवि लाल वगैरह ने घटना को अंजाम दिया है।

छवि लाल पटेल, अमित बाजपेयी, संतोष यादव, सौरभ मिश्रा निवासी महाराजपुर, विनोद नायक, महावीर चौरसिया गढ़ीमलहरा और अखिलेश पटेल निवासी पुर के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कलेक्टर ने परिवाद अदालत में पेश किया गया। जेएमएफसी प्रदीप दुबे की अदालत ने मामले की अंतिम सुनवाई करने के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

न्यायाधीश श्री दुबे की अदालत ने पाया कि कलेक्टर के द्वारा सभी आरोपियों द्वारा बिना किसी उचित कारण के निराधार मामला पेश किया है जिससे सभी लोगों को 17 फरवरी 2014 से 5 मार्च 2015 तक अदालत की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। अदालत ने कलेक्टर डॉ. मसूद अख्तर को इस आशय का कारण बताओ नोटिस जारी किया है कि उक्त बरी हुए सभी आरोपियों को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 250 (2) के तहत क्यों हर्जाना दिलाया जावे। न्यायालय ने कलेक्टर को 12 मार्च को अपना जबाव प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

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