कैसे रेग्यूलेट होगी इंटरनेट कॉलिंग

नई दिल्ली। इंटरनेट कॉलिंग किस तरह हो और नियमों के दायरे में इसे किस तरह लाया जाए, इस बारे में सरकार के स्तर पर विचार विमर्श शुरू हो गया है। शुक्रवार को ट्राई ने स्काइप, वाइबर, व्हाट्स एप और गूगल टॉक जैसे इंटरनेट आधारित 'कॉलिंग' और 'मैसेज एप्लिकेशन' के लिए रेगुलेशन पर राय मांगी।

फिलहाल उपभोक्ता मोबाइल एप्लिकेशन और कंप्यूटर के जरिए इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग कर फोन कॉल करने या संदेश भेजते हैं। उन्हें इसके लिए केवल इंटरनेट के उपयोग का पैसा लगता है लेकिन प्रति कॉल या संदेश के आधार पर उन्हें कुछ नहीं देना पड़ता। टेलिकॉम कंपनियां और ऐसी सर्विस देने वाली कंपनियों के बीच इसी मुद्दे को लेकर विवाद है।

टेलिकॉम कंपनियों का कहना है कि स्काइप, व्हाट्स एप, वाइबर आदि जैसी कंपनियां नेटवर्क में निवेश किए बिना उनकी कमाई में हिस्सा ले रही हैं। ट्राई ने इस मामले में 24 अप्रैल तक सभी संबंधित लोगों को अपनी राय देने को कहा है।


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