जगदीश शुक्ला/मुरैना। रंग और मस्ती के त्यौहार होली को आखिर कोई कैसे भूल सकता है। हाई प्रोफाईल तबके से लेकर निम्र वर्ग तक को एक रूपता का अहसास कराने वाला एक अलग मस्ती एवं रंग लेकर आने बाले इस अलबेले त्यौहार का हर किसी को साल भर इंतजार रहता है। त्यौहार को याद करने के लिये सभी के कारण अलग-अलग भी हो सकते हैं। जैसा कि मुरैना जिला मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर के फासले पर बसे मुरैना गांव के लोगों को रहता है।
यहां के लोगों को होली के रंग और मस्ती के साथ होलिका दहन की लपटों में नजर आने बाले भविष्य की सूचनाओं के लिये वर्ष भर न केबल याद करते हैं अपितु होलिका की लपटों के आधार पर यहां के कुछ बुजुर्गों द्वारा बताये जाने बाले आगामी फसल की पैदावार, बर्षा के हाल, प्राकृतिक आपदाओं सहित देश एवं प्रदेश की राजनैतिक स्थितियों के संबंध में अचूक भविष्य वाणी की जातीं हैं।
जानकारों का कहना है कि जानकारी के आधार पर ही यहां के लोग आगामी बर्षों के लिये अपनी कार्ययोजना भी तैयार करते हैं। हैरानी की बात यह भी है कि होलिका की लपटों लपटों की ऊंचाई एवं होलिका दहन के समय उठने बाले धुंए एवं उसके रंग के आधार पर बताया जाने बाला भविष्य ग्रामीणों के मुताबिक सौ टका सही साबित होता है। हालांकि होलिका की लपटों के आधार पर भविष्य का हाल बताने का हुनर अब गांव के कुछ बुजुर्गों तक सीमित रह गया है।
उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर बसा प्राचीन मुरैना गांव यूं तो अब शहर की सरहद में आ गया है,लेकिन यहां आज भी पुरानी परम्पराओं के प्रति वही सम्मान बरकरार है। मुरैना गांव निवासी पं.वेद प्रकाश शास्त्री का कहना है कि गांव में यह परंपरा कई बर्षों से चली आ रही है। यहां के लोगों को होलिका दहन के समय उसकी लपटों एवं धुंए के आधार पर भविष्य कथन का अद्भुत हुनर हासिल है।
वेदप्रकाश शास्त्री बताते हैं कि होलिका दहन के समय होलिका की लपटों का रंग उनकी ऊंचाई एवं धुऐं के रंग और दिशा के आधार पर गांव के कई बुजुर्ग धार्मिक ग्रंथ निर्णय सिंधु में गणना करने के उपरांत आगामी बर्ष की फसल का उत्पादन,प्राकृतिक आपदा,देश और अंचल की राजनैतिक उठापटक से संबंधित भविष्य कथन करते हैं। गांव के दाऊ जी मंदिर के महंत रामनिवास स्वामी का कहना था कि होली के अबसर पर किया जाने बाला भविष्य कथन एकदम सटीक और सही साबित होता है।
होलिका की लपटों के आधार पर भविष्य कथन की कला कितनी प्राचीन है पूछे जाने पर गांव के बुजुर्ग श्री निवास स्वामी बताते हैं कि उनकी उम्र लगभग 75 बर्ष से अधिक है,उन्होंने जब से होश संभाला है तब से वे गांव में होली की लपटों के आधार पर भविष्य कथन किये जाने की बात कहते हैं।
दाऊ जी का मंदिर है गांव की पहचान
मुरैना गांव देशभर में दाऊजी का इकलौता मंदिर होने के लिये भी पहचाना जाता है। बताया जाता है कि दाऊ जी के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण एवं दाऊ जी की पूजा की जाती है। दीपावली के अबसर पर यहां लगने बाला पारंपरिक लीला मेला भी अंचल की सांस्कृतिक और पौराणिक पहचान है। जानकारों के अनुसार मयूरवन का अपभ्रंश मुरैना गांव किसी समय बृज क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था,एवं भगवान श्रीकृष्ण दाऊजी एवं गोपियों के साथ मयूरवन में रास करने आते थे।
