राज्यपाल महोदय पर ABVP का वीडी बम

भोपाल। मप्र के इतिहास में पहली बार कलंकित हुए राजभवन पर व्यापमं घोटाले में एसआईटी के हमले के बाद अब एबीवीपी ने भी वीडी बम दे मारा है। एबीवीपी के पूर्व क्षेत्रीय संगठन मंत्री वीडी शर्मा का आरोप है कि राजभवन में पैसे लेकर एक दो नहीं बल्कि मप्र की 7 यूनिवर्सिटी में कुलपतियों की नियुक्तियां की गईं। शिकायत पुरानी है, जांच के आदेश भी हो गए लेकिन मीडिया की सुर्खियों में तब लाई गई जब रामनरेश यादव दिल्ली से निराश होकर लौट आए हैं। बता दें कि एबीवीपी भाजपा की ही स्टूडेंट विंग का नाम है। 

राष्ट्रपति कार्यालय ने शिकायत जांच के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को भेज दी है। वहीं एनएसयूआई (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन) ने भी कुलपतियों की नियुक्ति की जांच की मांग की है। शिकायत में अधिकांश कुलपतियों के उत्तर प्रदेश के होने पर सवाल खड़े किए गए हैं। 

ऐसे होती है नियुक्ति
यूनिवर्सिटी में कुलपति की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया जाता है। इसके बाद तीन सदस्यीय सर्च कमेटी गठित की जाती है। इसमें यूजीसी, राज्यपाल और संबंधित यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद द्वारा नामांकित एक-एक सदस्य होता है। सर्च कमेटी विज्ञापन के आधार पर मिले आवेदनों में से तीन नामों का पैनल राज्यपाल को देती है। राज्यपाल द्वारा पैनल में से किसी एक को कुलपति नियुक्त किया जाता है। 

कांग्रेस नेता समिति सदस्य 
भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में उत्तर प्रदेश निवासी डॉ. मुरलीधर तिवारी की कुलपति पद पर नियुक्ति हुई है। बीयू के कुलपति की तीन सदस्यीय सर्च कमेटी में वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता विवेक तन्खा शामिल थे।

जबलपुर की रानीदुर्गावती यूनिवर्सिटी में उत्तर प्रदेश निवासी डॉ. केएनएस यादव की नियुक्ति हुई है। वे राज्यपाल के नजदीकी रिश्तेदार भी बताए जाते हैं। रानीदुर्गावती यूनिवर्सिटी के कुलपति की सर्च कमेटी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्येन्द्र पाठक शामिल थे।

उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी में जेएल कौल की नियुक्ति हुई। विक्रम यूनिवर्सिटी में कुलपति की सर्च कमेटी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामेश्वर नीखरा सदस्य थे।

इन विवि के कुलपतियों की नियुक्ति पर सवाल
  1. बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल, 
  2. राजीव गांधी प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी भोपाल, 
  3. भोज यूनिवर्सिटी भोपाल, 
  4. देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी इंदौर, 
  5. विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन, 
  6. दुगार्वति यूनिवर्सिटी जबलपुर
  7. जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर


होने चाहिए बर्खास्त
राज्यपाल पर व्यापमं मामले में एफआईआर होने के बाद हमारे आरोपों की पुष्टि हो गई है कि राजभवन में स्र्पए लेकर काम किए जा रहे थे। अब कुलपतियों की नियुक्ति के मामले की भी जांच होना चाहिए। 
विष्णुदत्त शर्मा, पूर्व क्षेत्रीय संगठन मंत्री एबीवीपी

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