भोपाल। नरेन्द्र भाई मोदी को नजदीक से जानने वाले यह तो बेहतर जानते हैं कि मोदी अपने प्रभावक्षेत्र में 'महामहिम' होते हैं। वो किसी दूसरे को खुद पर नियंत्रण करने का मौका नहीं देते, बल्कि दूसरों पर लगाम कसकर रखते हैं और यदि कोई उन पर नियंत्रण करने का प्रयास करे इतिहास गवाह है, उस व्यक्ति का नाम इतिहास के पन्नों में भी शेष नहीं रह जाने देते।
लेकिन RSS ने अपने इस 'महामहिम प्रचारक' को बड़ा झटका दे दिया है। मोदी चाहते थे कि RSS की नई व्यवस्था में दत्तात्रेय होसबोले को सर कार्यवाह चुना जाए और भैयाजी जोशी को बीमारी के नाम पर रिटायर कर दिया जाए, लेकिन RSS के 1400 प्रतिनिधियों ने महामहिम की मनमानी मानने से इंकार कर दिया और भैयाजी जोशी की RSS में दूसरी बड़ी पॉवर पर तीसरी बार पोस्टिंग रिन्यू हो गई।
जब मोदी श्रीलंका में दोस्ती और भाईचारा का संदेश दे रहे थे, ठीक उसी वक्त नागपुर के RSS मुख्यालय से मोदी के लिए एक संदेशा भी आया. संघ ने भैयाजी जोशी के नाम पर तीसरी बार मुहर लगा दी और मोदी के पसंदीदा दत्तात्रेय होसबोले सर कार्यवाह बनने से चूक गए. नागपुर का संदेश साफ है. भैयाजी जोशी की सेहत भले ही उनका साथ ना दे रहा हो, लेकिन संघ उनके साथ खड़ा है. RSS के ताजा चिंतन का निचोड़ यही है कि भैयाजी जोशी ही तीसरी बार RSS के सरकार्यवाह होंगे.
गौरतलब है कि RSS में सर कार्यवाहक का कद नंबर-दो का होता है. संघ प्रमुख के बाद संगठन में सर कायर्वाह की ही चलती है. सारे संगठनों से तालमेल का जिम्मा, प्रचार-प्रसार और अहम नीतियां तय करने में भी सर कार्यवाहक की भूमिका ही अहम होती है. भैयाजी जोशी को 2012 में दूसरी बार सर कार्यवाह चुना गया था. लेकिन इस बार भैयाजी जोशी ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर जिम्मेदारी से मुक्ति मांगी थी. हालांकि, संघ का एक धड़ा दत्तात्रेय होसबोले को उनकी जगह लाना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
कैसे कटा दत्तात्रेय का पत्ता
दत्तात्रेय होसबले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं. लेकिन बताया जाता है कि संघ ऐसे किसी शख्स के कंधे पर सर कार्यवाह की जिम्मेदारी डालने से कतरा गया, जो रिश्ते की वजह से मोदी सरकार से दो टूक बात करने में हिचक जाए.