उज्जैन। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय शैव और वैष्णव अखाड़ों को लड़वा रहे हैं। संत तो सीधे-सादे होते हैं, मंत्री को अभा अखाड़ा परिषद के संतों को लड़ाने से क्या फायदा। विजयवर्गीय ने परिषद की मर्यादा धूमिल कर दी है। ये आरोप रामादल (वैष्णव दल) के संतों ने उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री पर लगाए।
सिंहस्थ-2016 से पहले अखाड़ा परिषद में अध्यक्ष पद को लेकर गहराया विवाद नित-नए मोड़ ले रहा है। मंगलवार को स्थानीय दिगंबर अखाड़े में श्री रामादल अखाड़ा परिषद के संरक्षक महंत भगवानदास ने मीडिया से चर्चा में आरोप लगाया कि 2006 में अग्नि और आवाहन अखाड़ों में भी विजयवर्गीय के कारण ही विवाद हुआ था। इस बार भी वे शैव और वैष्णव अखाड़ों को लड़वा रहे हैं।
उदासीन अखाड़े के महंत रघुमुनि के साथ मिलकर वे संत परंपरा के विरुद्ध काम कर रहे हैं। प्रेसवार्ता में खालसा परिषद के महामंत्री महंत हरिओमदास, छीज (राजस्थान) के महंत घनश्यामदास, निर्मोही अखाड़े के मदनमोहनदास, राधे राधे बाबा इंदौर, श्री रामादल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत डॉ. रामेश्वरदास, महामंत्री दिग्विजयदास मौजूद थे।
रामादल साथ नहीं तो अखाड़ा परिषद का अस्तित्व नहीं : महंत भगवानदास ने कहा जब तक रामादल साथ नहीं रहता तब तक अखाड़ा परिषद का कोई अस्तित्व नहीं होता। हाल ही में उज्जैन में बड़ा उदासीन अखाड़े में शैव अखाड़े के अंतर्गत निरंजनी के महंत नरेंद्र गिरीजी को अभा अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया है। यह चुनाव अवैध्ाानिक है। ज्ञानदासजी आज भी परिषद के अध्यक्ष हैं।
कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी
संतों ने पत्रकारों से कहा नरेंद्र गिरी के नेतृत्व वाली अखाड़ा परिषद पूरी तरह अवैधानिक है। रामादल सिंहस्थ में इस परिषद का बहिष्कार करेगा और स्नान अलग करेगा। महंत भगवानदास ने कहा इस परिषद के खिलाफ रामादल कोर्ट में परिवाद भी दायर करेगा।
विवाद इलाहाबाद से, मेरी क्या भूमिका
अखाड़ों का विवाद इलाहाबाद कुंभ से ही चला आ रहा है। इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। सभी 13 अखाड़े हमारे लिए सम्मानीय हैं। सिंहस्थ की जो परंपरा चली आ रही है, इसके आयोजन में उसी का पालन किया जा रहा है।
कैलाश विजयवर्गीय, नगरीय प्रशासन व जिले के प्रभारी मंत्री