पंचायतों में बे-कायदा शपथ ग्रहण की तैयारी

'मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की संप्रभुता एवं अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा"। कुछ इसी अंदाज में 50 जिला और 313 जनपद पंचायतों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शपथ लेंगे, जबकि पंचायतराज अधिनियम में शपथ ग्रहण का ऐसा प्रावधान नहीं है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने भी इसके लिए दिशा निर्देश नहीं निकाले, लेकिन स्थानीय राजनीति में अपना रसूख दिखाने और उपस्थिति दर्ज कराने नेता 25 मार्च को जनपद और 26 मार्च को जिला पंचायतों के प्रथम सम्मेलन को शपथ ग्रहण सम्मेलन बनाने में जुटे हैं।

सूत्रों के मुताबिक नवनिर्वाचित अध्यक्षों ने जिला व जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को शपथ ग्रहण की तैयारियों के मौखिक निर्देश दिए हैं। भीड़ जुटाने समर्थकों को बकायदा संदेश भेजे जा रहे हैं। इधर, विभाग का कहना है कि पंचायतराज अधिनियम में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के पदभार ग्रहण करने प्रथम सम्मेलन का प्रावधान है। इसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पदभार ग्रहण करते हैं और इनका कार्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इसमें प्रतिनिधियों को पंचायत एक्ट, नियम और प्रावधानों के बारे में बताने के साथ विभाग की ओर से निकाले गए दिशा-निर्देशों के बारे में बताया जाता है। इसका स्वरूप बदलकर पंचायत प्रतिनिधि, विधायक और सांसदों की तर्ज पर संकल्प के नाम से बकायदा शपथ कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

बस लोकहित में करें काम
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि ऐसी सूचना तो मिली है, पर पंचायतराज अधिनियम में शपथ ग्रहण का प्रावधान नहीं है। सरकार की मंशा साफ है कि सभी जनप्रतिनिधि लोकहित में काम करें। यदि भ्रष्टाचार मुक्त जिला या जनपद, स्वच्छता, मद्य निषेध और गुणवत्तायुक्त निर्माण का संकल्प लेते हैं तो कोई बुराई भी नहीं है।

प्रथम सम्मेलन का प्रावधान
अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने बताया कि शपथ ग्रहण जैसी प्रक्रिया कानून में नहीं है। दस-बारह साल पहले कहीं से कोई परिपत्र जारी हुआ था जिसमें सकंल्प लेने की बात कही गई थी। तब से ही परंपरा चली आ रही है। एक्ट में सिर्फ प्रथम सम्मेलन बुलाए जाने का प्रावधान है। उधर, पंचायतराज आयुक्त रघुवीर श्रीवास्तव ने बताया कि शपथ को लेकर कोई निर्देश नहीं हैं।

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