रिटायर्ड डीजीपी नंदन दुबे होंगे मप्र के उप लोकायुक्त

भोपाल। राज्य सरकार ने रिटायर्ड डीजीपी नंदन दुबे को उप लोकायुक्त बनाने का फैसला किया है, लेकिन लोकायुक्त पीपी नावलेकर की चुप्पी से मामला गड़बड़ा गया है। मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा ने लोकायुक्त नावलेकर को प्रस्ताव भेजकर सरकार की मंशा से अवगत कराया था।

मुख्य सचिव ने उनसे प्रस्ताव पर अभिमत देने को कहा था, लेकिन लोकायुक्त ने चुप्पी साध ली है। सूत्रों का कहना है कि दुबे को उप लोकायुक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद लोकायुक्त से बात करने वाले हैं।

मुख्य सचिव ने 20 जनवरी को लोकायुक्त नावलेकर को भेजे गए प्रस्ताव में कहा था कि लोकायुक्त एवं उप लोकायुक्त अधिनियम 1981 की धारा 3 के अनुसार उप लोकायुक्त के पद पर केन्द्रीय सचिव स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया जा सकता है।

ऐसी स्थिति में सरकार ने डीजीपी पद से सेवानिवृत्त हुए नंदन दुबे को उप लोकायुक्त पद के लिए चयन किया है। मुख्य सचिव ने अपने प्रस्ताव में रिटायर्ड डीजीपी दुबे को सक्षम, अनुभवी और स्वच्छ छवि का अधिकारी बताते हुए उन्हें उप लोकायुक्त के लिए उपयुक्त बताया है।

सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस मामले में मुख्य सचिव ने लोकायुक्त से इस मामले में फोन पर भी बात की, लेकिन मामला नहीं जमा। लोकायुक्त से जुड़े सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त इस पद पर न्यायिक सेवा के अधिकारी को पदस्थ करना चाहते हैं। यही वजह है कि वे रिटायर्ड डीजीपी के प्रस्ताव को दबाकर बैठे हुए हैं।

दुबे का दूसरी बार अटका मामला
दुबे के पुनर्वास का प्रस्ताव दूसरी बार अटका है। इसके पहले उन्होंने डीजीपी पद पर रहते हुए सेवानिवृत्ति से पांच माह पहले ही केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में प्रशासनिक (कैट) सदस्य के पद पर नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव को आवेदन भेज कर अनुमति मांगी थी। उन्हें आवेदन हर हाल में कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) को 19 मई 2014 से पहले भेजना था, लेकिन मुख्य सचिव कार्यालय ने उनके आवेदन को परीक्षण के लिए गृह विभाग को भेज दिया। समय निकलने के कारण दुबे समय पर अपना आवेदन नहीं दे पाए।

एक साल से खाली पड़ा है पद
लोकायुक्त संगठन में उपलोकायुक्त का पद पिछले साल एक फरवरी से खाली है। इसके चलते भ्रष्टाचार और पद के दुरूपयोग जैसे मामलों की जांच में संगठन को दिक्कत हो रही है। इसके बावजूद पहले सरकार के स्तर पर नियुक्ति को लेकर हीलाहवाली हुई और अब लोकायुक्त संगठन की ओर से अभिमत देने में ढिलाई बरती जा रही है।

मैं इस पर कुछ नहीं बोलना चाहता प्रस्ताव मिला है, मैं देखूंगा.. सोचूंगा। फिलहाल मैं इस पर कुछ नहीं बोलना चाहता।
पीपी नावलेकर, लोकायुक्त

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