मप्र में डर्टी पॉलिटिक्स: जो जीता वो भाजपाई

shailendra gupta
उपदेश अवस्थी/भोपाल। मप्र में इन दिनों अजब किस्म डर्टी पॉलिटिक्स चल रही है। जो जीता वही भाजपाई। ताजा मामला मनमोहन नागर का है। महोदय जब चुनाव लड़ रहे थे तो कांग्रेसी थे, जीत सुनिश्चित थी। रात के अंधेरे में डर्टी पॉलिटिक्स का चक्कर चला, सुबह जीते और भाजपाई हो गए। 

चुनाव से पहले

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए बुधवार रात तक कांग्रेस के पाले में खड़े मनमोहन नागर से रातोंरात भाजपा के नेताओं ने संपर्क किया और भीतर ही भीतर उन्हें अपने साथ मिला लिया। सुबह जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव होने तक कांग्रेस नेताओं को इसकी कानोंकान खबर तक नहीं लगी।

चुनाव के बाद

जैसे ही मनमोहन नागर को अध्यक्ष का प्रमाण पत्र मिला वैसे ही उन्होंने कांग्रेस छोडने की अपनी रणनीति को सार्वजनिक कर दिया। दोपहर में मंत्री रामपाल सिंह ने भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचकर इसकी घोषणा की और थोड़ी देर बाद ही स्वयं मनमोहन नागर वहां पहुंचकर बीजेपी में शामिल हो गए।

जब मनमोहन नागर भाजपा दफ्तर में अरविंद मेनन के साथ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर रहे थे तभी कुछ लोग वहां पहुंच गए। उन्होंने नागर के साथ मारपीट शुरू कर दी और वे लोग अपने आपको कांग्रेस नेता बता रहे थे।

वहां मारपीट देखकर भगदड़ मच गई और मनमोहन नागर को मारपीट करने वाले लोग अपने साथ ले गए। इस घटना के बाद भी भाजपा नेता यह दावा करते रहे कि मनमोहन नागर हमारे साथ है और उन्होंने पार्टी ज्वाइन कर ली है।

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